What is the link of Sivani to Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal
Delhi Assembly Election 2020: पढ़िए- कहां है सिवानी, जिसकी हर गली में हैं केजरीवाल के किस्से
हरियाणा में हिसार जिला मुख्यालय से 35 व भिवानी जिला मुख्यालय से 65 किमी दूर छोटा सा कस्बा है सिवानी। लगभग 20 हजार की आबादी वाले इस कस्बे की गली-गली में दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) की चर्चा है। लालों के लाल के लिए चर्चित हरियाणा के इसी गांव की माटी के लाल हैं अरविंद केजरीवाल।
गौरतलब है कि वर्ष 1968 में अरविंद केजरीवाल का जन्म इसी छोटे से कस्बे सिवानी में हुआ था। सोमवार को चुनाव की घोषणा के साथ ही यहां भी 11 फरवरी तक उम्मीद और आशंका के बीच तर्क-वितर्क का दौर जारी रहेगा।
सिवानी से ही सटा है लगभग 3 हजार की आबादी का छोटा सा गांव खेड़ा। आजादी से पहले अरविंद केजरीवाल के दादा-परदादा यहीं रहते थे। विभाजन के बाद व्यापार बढ़ाने के लिए खेड़ा से 5 किमी दूर सिवानी आकर बस गए।
28 दिसंबर 2013 को जब केजरीवाल ने दिल्ली के सीएम की शपथ ली थी तब सिवानी और खेड़ा के नाम भी राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो गए। सिवानी तहसील के तमाम गांवों में लोगों की जुबान पर दिल्ली चुनाव है। यहां समर्थक भी हैं और विरोधी भी।
जुबान पर है दादा-परदादा के सेवा कार्य
खेड़ा गांव में केजरीवाल के दादा मंगलचंद व उनके परिवार के लोगों के सेवा कार्यों की आज भी चर्चा है। केजरीवाल के पूर्वजों ने अपने पैसे से गांव में उस दौर में जल संकट का समाधान कर दिया था, जब अधिकांश लोग अभावों में जिंदगी जी रहे थे।
सीएम उम्मीदवार: दिल्ली चुनाव में ‘आप’ के लिए फायदा तो कांग्रेस-भाजपा के लिए आफत…
साल 2015 में आपको ध्यान होगा कि सीएम उम्मीदवार को लेकर दिल्ली में तीनों पार्टियों के बीच जमकर बयानबाजी हुई थी। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस मसले पर कांग्रेस और भाजपा को जोरदार तरीके से घेरा था। चुनाव प्रचार शुरू होने से पहले ही केजरीवाल ने दोनों पार्टियों के इस मसले को जनता के बीच का मुद्दा बना दिया। वे कभी जगदीश मुखी को भाजपा का सीएम उम्मीदवार बताते तो कभी विजय गोयल और विजेंदर गुप्ता को।
उन्होंने दिल्ली की राजनीति में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर ऐसा चक्रव्यूह रचा कि भाजपा को उनके सामने किरण बेदी की एंट्री करानी पड़ी। कांग्रेस ने भी शीला दीक्षित को आगे कर दिया। चुनावी नतीजे सबसे सामने थे। आप ने 70 में 67 सीटों पर जीत दर्ज कराई। दोनों पार्टियां, कांग्रेस और भाजपा में सीएम पद के घोषित एवं संभावित उम्मीदवार तक चुनाव हार गए। इस बार का चुनाव भी कुछ वैसा ही है। भाजपा ने कहा है कि वह मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान नहीं करेगी। कांग्रेसी खेमें का भी कुछ ऐसा ही हाल है। शीला दीक्षित के देहांत के बाद पार्टी ने अध्यक्ष पद के लिए भले ही सुभाष चोपड़ा पर दाव लगाया है, लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए उनका नाम ही आएगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव की औपचारिक घोषणा सोमवार को हो चुकी है। कांग्रेस और भाजपा के लिए भले ही यह एक घोषणा हो सकती है, लेकिन आम आदमी पार्टी तो इससे पहले ही अंदरखाते चुनाव प्रचार का पहला चरण पूरा कर चुकी है। आप के अधिकांश विधायक एवं दूसरे नेता लोगों से मिलकर पार्टी का रिपोर्ट कार्ड जान रहे हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में आप नेता मनीष सिसोदिया ने कहा था, पहली बार के चुनाव में वोटरों को यह शक था कि नई पार्टी (आप) कैसी है। उसका काम करने का तरीका क्या होगा। लोगों ने जब आप की सरकार के 49 दिन के कार्यकाल की उपलब्धियां देखी तो उन्हें पता चला था कि दिल्ली में उन्हें अब एक मजबूत राजनीतिक विकल्प मिल गया है। यही वजह रही कि 2015 में दिल्ली के लोगों ने आप को प्रचंड बहुमत दे दिया।
‘विपक्ष के पास मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं’
आप विधायक सोमनाथ भारती कहते हैं कि उस वक्त तो लोगों ने केवल 49 दिन की सरकार के कामकाज के आधार पर 67 सीट दे दी थी। अब तो पूरे पांच साल लोगों ने हमारा कामकाज देखा है। विपक्षी दलों के पास मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा नहीं है। जनता यह भरोसा कैसे करे कि फलां पार्टी सत्ता में आती है तो उसका कौन सा नेता दिल्ली का मुख्यमंत्री पद संभालेगा। अब आप घर द्वार कार्यक्रम शुरू करेगी। पार्टी कार्यकर्ता एक घर में कम से कम चार बार जाएंगे। वे पांच-पांच मिनट के लिए वोटरों से बातचीत करेंगे। इसके साथ पार्टी के स्टार प्रचारक अरविंद केजरीवाल सभी विधानसभा क्षेत्रों में जनसभाएं एवं रोड शो करेंगे। फिल्मी जगत की कई हस्तियां भी आप के चुनाव प्रचार में शामिल होंगी।
आप ने कई बातों के आधार पर दोनों पार्टियों से आगे निकलने का दावा किया है
आप ने गत वर्ष नवंबर माह से ही चरणबद्ध तरीके से लोगों के बीच चुनाव प्रचार अभियान की तर्ज पर जाना शुरू कर दिया था। पार्टी वर्कर घर घर जाकर लोगों का मन टटोल रहे थे। दूसरी तरफ कांग्रेस और भाजपा में अभी तक कोई नीति ही तय नहीं हो सकी।
राजनीतिक गतिविधियों की बात करें तो भाजपा के खाते में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियां हैं। इनमें ट्रिपल तलाक, अनुच्छेद 370 और राम मंदिर जैसे मुद्दे शामिल हैं। भले ही इन मुद्दों पर लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोटरों का समर्थन मिल जाए, लेकिन विधानसभा चुनाव में ये मुद्दे कितने प्रभावी हैं, इसका उदाहरण महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड चुनाव में दिख चुका है। आप अपने पांच साल के कार्यों के आधार पर वोट मांग रही है।केजरीवाल कह चुके हैं कि दोनों पार्टियों के पास दिल्ली के विकास को लेकर कोई नीति नहीं है। आगामी विधानसभा चुनाव में दिल्ली के लोग काम पर वोट देंगे।
‘सीएम प्रत्याशी को लेकर कोई झगड़ा नहीं’
आप में सीएम प्रत्याशी को लेकर कोई झगड़ा नहीं है। मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल ही पार्टी के स्टार प्रचारक भी हैं। अभी तक हुए मीडिया सर्वे में बेहतर सीएम की रेटिंग में भी अरविंद केजरीवाल सबसे आगे हैं। कांग्रेस व भाजपा द्वारा अभी तक किसी भी नेता को मुख्यमंत्री पद के लिए नामित नहीं किया गया है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह खुद कह चुके हैं कि दिल्ली चुनाव में भाजपा बिना मुख्यमंत्री चेहरे के मैदान में उतरेगी। जबकि कुछ दिन पहले मीडिया में मनोज तिवारी का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए उछाला गया था। आप चुनाव प्रचार से पहले लोगों को यह बता रही है कि भाजपा के पास मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा नहीं है। आप नेता शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सुरक्षा, युवा विकास, व्यापारी वर्ग और ग्रामीण तबके के लोगों के विकास का खाका खींचने के लिए उनके बीच जा रहे हैं।
एमएलए रिपोर्ट कार्ड
आप ने स्वराज की तर्ज पर अपने सभी विधायकों का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने पेश कर दिया है। इस कार्ड में कहां पर विकास का कौन सा कार्य हुआ और उस पर कितना पैसा खर्च हुआ, आदि बातें शामिल हैं। इसके अलावा आप विधायकों ने विकास कार्यों की रूपरेखा भी लोगों से पूछकर तैयार की थी। दूसरे किसी भी राजनीतिक दल ने ऐसी रिपोर्ट जारी नहीं की है।
कांग्रेस और भाजपा में सीटों के लिए आप के मुकाबले कहीं ज्यादा गुटबाजी चल रही है। आम आदमी पार्टी के नेता कहते हैं कि हम इस कार्य को सहजता से पूरा कर लेंगे। 2015 के चुनाव में भी आप को उम्मीदवारों की सूची जारी करने में कोई दिक्कत नहीं आई थी। हमारे सभी कार्यकर्ता पूरी निष्ठा के साथ पार्टी के निर्णय को स्वीकार करते हैं। फिलहाल पार्टी में किसी स्तर पर कोई गुटबाजी नहीं है। जनता से पूछ कर विधानसभा उम्मीदवार तय किए जाएंगे।
किस पार्टी का कौन सा नेता होगा स्टार प्रचारक…
सोमवार को विधानसभा चुनावों की घोषणा होने के बाद कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी में एकाएक हलचल बढ़ गई।तीनों पार्टियों के अंदर से चुनाव प्रचार की रणनीति से जुड़ी बातें छन-छन कर मीडिया में आने लगी। कांग्रेस पार्टी के हवाले से खबर आई कि लोकसभा चुनाव की तर्ज पर दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ही स्टार प्रचारक रहेंगे।
उधर, भाजपा खेमें में अभी यह तय नहीं है कि पीएम मोदी चुनाव प्रचार में हिस्सा लेंगे या नहीं। पिछली बार के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में कई रैलियां की थी। इस बार माना जा रहा है कि अमित शाह ही चुनाव की जिम्मेदारी संभालेंगे। हालांकि पार्टी अभी यह रणनीति बना रही है कि कौन सा नेता चुनाव प्रचार में आगे आएगा और कौन सा नहीं। भाजपा ने दिल्ली में इस बार किसी भी नेता को मुख्यमंत्री पद के लिए नामित नहीं किया है। कांग्रेस पार्टी की तरफ से राहुल गांधी की करीब दर्जन क्षेत्रों में जनसभाएं कराने की योजना बनाई जा रही है।
इसके अलावा प्रियंका गांधी के रोड शो का कार्यक्रम भी रहेगा। पार्टी अध्यक्ष सोनिया, पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह भी दो-तीन चुनावी रैलियों को संबोधित कर सकते हैं।दूसरी ओर, आप के स्टार प्रचारक अरविंद केजरीवाल ही पूरी तरह से चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभालेंगे। पार्टी ने उनके रोड शो की रूपरेखा लगभग तैयार कर ली है।





