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मनोहर लाल खट्टर
Bureau | July 7, 2020 | 0 Comments

Scam in Smart City Faridabad

स्मार्ट सिटी फरीदाबाद में 1 रुपये की ईंट नहीं लगी, पेमेंट हो गया 50 करोड़ का!

फाइनैंस ब्रांच से 2017 से 2019 तक विकास कार्यों का ब्योरा मांगा गया था साथ में ये भी पूछा गया था कि किस फंड से किस ठेकेदार को कितनी पेमेंट हुई। ये जानकारी फाइनैंस ब्रांच ने कुछ दिन पहले ही दी है। कुल मिलाकर 40 वॉर्ड में से 10 ऐसे हैं जहां पर कोई काम नहीं हुआ और ठेकेदार को पेमेंट कर दी गई है।

हरियाणा के सबसे पहले और पुराने फरीदाबाद नगर निगम को कंगाल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। शहर के 40 वॉर्डों में से 10 वॉर्ड ऐसे हैं जहां पर विकास की एक ईंट तक नहीं लगी और ठेकेदार को करोड़ों रुपये की पेमेंट हो गई। इस बात का पता तब चला जब पार्षदों ने फाइनैंस ब्रांच से लिखित डिटेल मांगी। पार्षदों को फाइनेंस ब्रांच से मिली डेटेल में ठेकेदार को केवल नालियों की रिपेयरिंग, इंटरलॉकिंग टाइल बिछाने और स्लैब लगाने जैसे तीन कामों के लिए करोड़ों रुपये की पेमेंट की गई है। यही नहीं ये सभी पेमेंट जनरल फंड से की गई है जबकि निगम के जनरल फंड में तो पैसे ही नहीं है। पिछले चार सालों से सभी कार्य सीएम अनाउंसमेंट के पैसों से हो रहे हैं। पार्षद दीपक चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा कि ये अपने आप में एक बड़ा घोटाला है जिसमें कई अफसर और ठेकेदारों ने मिल कर 40 से 50 करोड़ रुपये की पेमेंट डकार ली है।

हाइलाइट्स

  • कंगाल नगर निगम के इंजीनियरों ने ठेकेदारों से मिलकर किया घोटाला, फाइनैंस ब्रांच की रिपोर्ट से हुआ खुलासा
  • 2017 से 2019 तक विकास कार्यों का ब्योरा पार्षदों ने फाइनैंस ब्रांच से मांगा था
  • शहर के 40 वॉर्डों में से 10 वॉर्ड ऐसे हैं जहां पर विकास के नाम पर हड़पे गए पैसे
  • ठेकेदार को केवल नालियों की रिपेयरिंग, इंटरलॉकिंग टाइल और स्लैब लगाने जैसे कामों के लिए करोड़ों की पेमेंट दिखाई

फाइनैंस ब्रांच से 2017 से 2019 तक विकास कार्यों का ब्योरा मांगा गया था साथ में ये भी पूछा गया था कि किस फंड से किस ठेकेदार को कितनी पेमेंट हुई। ये जानकारी फाइनैंस ब्रांच ने कुछ दिन पहले ही दी है। पाषर्द दीपक चौधरी के वॉर्ड में 27 ऐसे कार्य हुए हैं जिनमें 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की पेमेंट दिखाई गई है। ये खर्चा नालियों की रिपेयरिंग, इंटरलॉकिंग टाइल लगाना और स्लैब लगाने पर दिखाया गया है, लेकिन आज तक ये काम उनके वॉर्ड में हुए ही नहीं। जब उन्होंने दूसरे वॉर्डों के पार्षदों के कार्यों के बारे में पूछा तो वहां भी यही बात सामने आई। मजेदार बात ये है कि जितनी भी पेमेंट ठेकेदार को हुई है वह 4 लाख से ज्यादा की पेमेंट है। कुल मिलाकर 40 वॉर्ड में से 10 ऐसे हैं जहां पर कोई काम नहीं हुआ और ठेकेदार को पेमेंट कर दी गई है।

जनरल फंड में तो पैसा ही नहीं है तो पेमेंट कैसे हो गई

पिछले 5 सालों से नगर निगम की आर्थिक हालत ज्यादा खराब है। जनरल फंड का इस्तेमाल छोटे मोटे खर्चे और कर्मचारियों की सैलरी देने के लिए किया जाता है। विकास कार्यों के लिए तो जनरल फंड में पैसा ही नहीं बचता है। तो विकास कार्य कैसे होंगे। लेकिन साल 2017 से 2019 के बीच में 40 से 50 करोड़ रुपये की पेमेंट जनरल फंड से हुई है। सीएम अनाउंसमेंट के तहत मिले बजट से ही पिछले 4 सालों से विकास कार्य हर एक वॉर्ड में हो रहे हैं। ठेकेदारों की पेमेंट भी सीएम अनाउंसमेंट से होती है। लेकिन जनरल फंड से इतनी सारी पेमेंट होना समझ से परे है। ये तो जांच का विषय है।

भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हो चुके है-

  • डीए ब्रांच में कार्यरत एक कर्मचारी द्वारा वकीलों की फीस अपने अकाउंट में ट्रांसफर करने का मामला उजागर हो चुका है जिसकी जांच चल रही है।
  • जनवरी 2020 महीने में ही पानी के बिल को कम करवाने के एवज में रिश्वत मांगने वाले कर्मचारी को विजिलेंस टीम पकड़ चुकी है।
  • 2018 में तत्कालीन कमिश्नर मोहम्मद शाइन ने प्लानिंग ब्रांच की कुछ फाइलों के गायब होने को लेकर एफआईआर दर्ज कराई थी।

क्या कहते हैं पार्षद

दीपक चौधरी, पार्षद वॉर्ड नंबर 37 कहते हैं कि ये अपने आप में एक बड़ा घोटाला है जिसमें ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारी मिले हैं। मेरे वॉर्ड में जितनी पेमेंट दिखाई गई है उसमें से एक भी काम नहीं हुए है। इसकी शिकायत डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और सीएम मनोहर लाल से की जाएगी। ताकि नगर निगम की सच्चाई सामने आ सके।

वहीं दीपक यादव, पार्षद वॉर्ड नंबर 36 ने कहा कि मुझे भी पता चला कि फाइनैंस ब्रांच ने जो जानकारी दी है उसमें कई लाख रुपये के विकास कार्य मेरे वॉर्ड में हो चुके हैं जबकि मुझे खुद नहीं पता कि इतने पैसे कहां खर्च हुए हैं। ये तो बड़ा घोटाला है। बिना काम के ही पेमेंट हो गई है।

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