Rajkiya Engineering College, Kannauj
अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट की अधूरी बिल्डिंग में भावी इंजीनियरों का ‘निर्माण’
राजकीय इंजीनियरिग कॉलेज तिर्वा का बजट के अभाव में अधूरा पड़ा है। बजट की मांग को लेकर रिमाइंडर भेजा गया, लेकिन मंजूरी नहीं मिली। चार वर्ष से काम बंद है। अधूरा भवन होने से शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद चयनित छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। उपेक्षित कालेज में एडमिशन ले वे अपने व नित-नियंताओं को कोसते दिख रहे हैं।
तहसील क्षेत्र के बेला रोड स्थित राजकीय इंजीनियरिग कॉलेज का निर्माण 2013 में शुरू हुआ था, इसे 2016 में पूर्ण होना था। भूमि अधिग्रहण का विवाद होने से निर्माण देरी से हुआ। 5.97 करोड़ रुपये की स्वीकृति लागत से कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम ने कार्य शुरू किया था। बजट खत्म हो जाने से वर्ष 2017 में काम बंद हो गया। इसके बाद अफसरों ने निर्माण को शुरू कराने के लिए 165 करोड़ रुपये का रिवाइज बजट तैयार कर शासन को भेज दिया। अभी तक रिवाइज बजट को मंजूरी नहीं मिल सकी। कार्यदायी संस्था के कर्मचारी भी काम को छोड़कर चले गए। कॉलेज का 48 फीसद काम अभी भी अधूरा है। 52 फीसद निर्माण पूर्ण होने पर शिक्षण कार्य शुरू कर दिया गया, लेकिन छात्रों व शिक्षकों को काफी दिक्कतें होती है।
इन जगहों पर काम अधूरा:
सेमिनार भवन, द्वितीय बालिका, द्वितीय बालक छात्रावास, टाइप-फोर का एक ब्लाक में निर्माण कार्य अधूरा है।
इन बिल्डिंगों की नहीं खुदी नींव:
प्रशासनिक भवन, छात्रों की लाइब्रेरी, मुख्य द्वार व रोड का निर्माण अभी तक शुरू भी नहीं हो सका है।
किराए पर रहते छात्र:
छात्रावास न होने से सिर्फ छात्राएं ही कैंपस में रहकर पढ़ाई करती है। छात्रों को किराए के मकानों में रहकर रोजाना अप-डाउन करना पड़ता है। ‘बजट की मांग को लेकर पत्राचार किया गया, लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं मिली। इससे शिक्षण कार्य प्रभावित है। शासन स्तर पर मंजूरी के लिए प्रक्रिया चल रही और उम्मीद है कि आगामी सत्र में मंजूरी मिल जाएगी। डॉ. बीडीके पात्रौ, प्रभारी डायरेक्टर राजकीय इंजीनियरिग कॉलेज





