Petrol and Diesel price hiked
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का लाभ उठाने में मोदी सरकार, पेट्रोल और डीजल के दामों में की जबरदस्त बढ़ोतरी
पेट्रोल और डीजल के दामों में फिर हुई बढ़ोतरी, जानिए कितनी बढ़ीं कीमतें
पेट्रोल और डीजल के दामों में फिर बढ़ोतरी हुई है। पेट्रोल के दाम 62 पैसे लीटर, डीजल मूल्य 64 पैसे प्रति लीटर बढ़े हैं। पिछले आठ दिनों में पेट्रोल और डीजल दोनों ईंधन के दाम में क्रमश: 4.52 रुपये और 4.64 रुपये लीटर की बढ़ोतरी हुई है।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों की कीमत अधिसूचना के अनुसार, दिल्ली में पेट्रोल का मूल्य 75.16 रुपये से बढ़कर 75.78 रुपये प्रति लीटर, जबकि डीजल का दाम 73.39 रुपये से बढ़कर 74.03 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया है।
जून 2017 के बाद सर्वाधिक बढ़ोतरी
जून 2017 के बाद पेट्रोल-डीजल के दामों की रोजाना समीक्षा और बढ़ोतरी के बाद यह अब तक की सबसे अधिक बढ़ोतरी है। तेल के दाम पूरे देश के लिए बढ़ाए गए हैं और राज्यों के स्थानीय टैक्स व वैट के चलते इनके दाम अलग-अलग होंगे।
तेल कंपनियां जून 2017 के बाद से दैनिक आधार पर कीमतों की समीक्षा कर रही हैं। तब से पेट्रोल के दाम में 62 पैसे और डीजल के मूल्य में 64 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी सर्वाधिक है।
कंपनियों ने कीमतों की समीक्षा 82 दिनों तक स्थगित रखने के बाद सात जून से दाम में लागत के हिसाब से फेर-बदल शुरू किया था। उसके बाद से यह लगातार आठवां दिन है जब ईंधन के दाम बढ़े हैं।
पिछले आठ दिनों में पेट्रोल के दामों में 4.52 रुपये प्रति लीटर और डीजल की दर में 4.64 रुपये लीटर की कुल वृद्धि हुई है। दैनिक कीमत समीक्षा शुरू होने के बाद से आठ दिनों में यह सर्वाधिक वृद्धि है।
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोरोना वायरस महामारी के कारण कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का लाभ उठाने और अतिरिक्त संसाधन जुटाने के इरादे से सरकार ने 14 मार्च को पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी। उसके बाद तेल कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने कीमतों की दैनिक समीक्षा रोक दी थी।
उसके बाद सरकार ने फिर पांच मई को पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 10 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिए। इस दो बार की वृद्धि से सरकार को 2 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त कर राजस्व प्राप्त हुआ।
तेल कंपनियों ने हालांकि, उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी का भार ग्राहकों पर नहीं डाला, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के साथ उसे समायोजित कर दिया।





