Meerut is short of Oxygen
मेरठ में अस्पतालों का हाल: भर्ती होना है तो अपनी ऑक्सीजन लेकर आओ
मेरठ में कोरोना से जनता के बचाव के प्रशासन के सारे दावे हवा हवाई साबित हो रहे हैं। अस्पतालों में मरीजों के लिए न बेड है न ही ऑक्सीजन। कोरोना उपचार के लिए बनाए गए अस्पतालों में प्रभारियों के नंबर या तो बंद हैं या उठाए नहीं जाते। अस्पतालों में हालात बदतर हैं। अस्पतालों ने मरीजों से कहना शुरू कर दिया है कि अपना सिलिंडर लाओ और भर्ती हो जाओ।
प्रशासन ने 30 अस्पतालों को कोरोना मरीजों के इलाज के लिए तय किया है। अस्पतालों के पास पहले बेड का अभाव था, लेकन अब ऑक्सीजन की भी कमी है। अस्पतालों के अनुसार संक्रमण बढ़ने के कारण मरीजों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि सभी बेड फुल हैं। वहीं ऑक्सीजन की खपत भी तेजी से बढ़ी है। पहले जिस अस्पताल में 200 ली. ऑक्सीजन की खपत थी अब वहां रोजाना 500 ली. से ज्यादा ऑक्सीजन खपत हो रही है।
ऑक्सीजन की सप्लाई भी नहीं मिल रही है। मरीज अस्पताल में आते हैं, लेकिन समय पर ऑक्सीजन नहीं मिल रही। कई अस्पताल तो साफ कह रहे हैं मरीज के साथ ऑक्सीजन ले आएं, भर्ती कर लेंगे।
कोविड अस्पतालों के प्रभारियों के नहीं उठते फोन
कोरोना उपचार के लिए जो 30 अस्पताल तय हुए हैं उनमें आलम यह है कि अस्पताल प्रभारियों के फोन ही नहीं उठ रहे। अधिकांश अस्पतालों के प्रभारियों के नंबर बंद हैं या किसी ने नंबर फारवर्ड कर दिए हैं। तीमारदार परेशान हो रहे हैं। जहां फोन उठता है वहां भर्ती करने से साफ इनकार कर दिया जाता है।
प्रति मरीज बढ़ गई ऑक्सीजन खपत
ऑक्सीजन की कमी का एक कारण प्रति मरीज ऑक्सीजन की खपत बढ़ना भी है। चिकित्सकों के अनुसार जो मरीज पहले 15 ली. ऑक्सीजन पर थे अब उन्हें 20 ली. ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। कोरोना की दूसरी लहर में वायरस तेजी से फेफड़ों पर वार कर रहा है। इसके चलते मरीज का ऑक्सीजन स्तर पिछले बार की अपेक्षा तीव्रता से गिर रहा है, इसलिए ऑक्सीजन की खपत भी बढ़ी है।





