Mainpuri by Election 2022: Dimple Yadav registered a big victory, Raghuraj Singh Shakya could not even save his booth in front of Dimple Yadav
Mainpuri By Election: समाजवादी पार्टी उम्मीदवार डिंपल यादव के आगे अपना बूथ भी न जीत सके भाजपा के रघुराज, न योगी का जादू चला और न ही भाजपा की रणनीति
मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव जिसपर स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की बहु डिंपल यादव चुनाव लड़ रही हैं। उन्होंने जसवंतनगर से भाजपा प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य पर बड़े अंतर से जीत दर्ज की है। 30 राउंड की मतगणना में एक बार भी भाजपा प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य आगे नहीं हुए।
समाजवादी पार्टी के गढ़ को ढहाने के भाजपा के दावे और इरादे, दोनों बुरी तरह ढेर हो गए। ऐसी करारी हार मिली कि पूरा संगठन सदमे में है। लोकसभा सीट की बात तो दूर हर बार बढ़त दिलाने वाले भोगांव विधानसभा क्षेत्र तक में भाजपा प्रत्याशी पिछड़ गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दो-दो जनसभाएं, दोनों उप मुख्यमंत्रियों का प्रवास-जनसभाएं, दर्जनों मंत्रियों-जनप्रतिनिधियों को गांव-गांव संपर्क, कुछ भी प्रभाव नहीं दिखा पाया।
मुलायम सिंह यादव के निधन के चलते उभरी सहानुभूति लहर में शाक्य प्रत्याशी उतार कर जातीय मतों की गोलबंदी की रणनीति भी नाकाम रही। भाजपा की जबरदस्त हार का साक्ष्य यह कि पार्टी प्रत्याशी रघुराज सिंह खुद अपना बूथ तक नहीं जीत सके।
उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के गढ़ को ढहाने के इरादे से उतरी भाजपा पहले दिन से ही दावे करने में लगी थी। आजमगढ़ लोकसभा सीट पर जीत का उदाहरण दे, मैनपुरी में रिकार्ड जीत का दम भरा जा रहा था। इस साल हुए विधानसभा चुनाव में जिले की चार सीटों में से दो सीटों पर मिली जीत और अन्य सीटों पर बढ़े मत प्रतिशत से भी भाजपा का हौसला बढ़ा हुआ था।

मतदाताओं के मन की बात समझने में नाकाम रही भाजपा
सीट को जीतने के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। अपने मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों की पूरी फौज मैदान में उतार दी थी। प्रवासी के रूप में ढाई हजार बड़े नेताओं-पदाधिकारियों को अलग से लगाया गया था। खुद मुख्यमंत्री दो जनसभाएं करने मैनपुरी आए थे। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने यहां प्रवास किया उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने जनसभाएं की थी और एक दिन प्रवास किया था। परंतु चुनाव प्रचार में जुटी भाजपा मतदाताओं के मन की बात समझने में नाकाम रही।
गांव बल्लमपुर में भाजपा को मिले मात्र तीन वोट
दूसरी तरफ अति आत्मविश्वास में बूथ प्रबंधन की रणनीति पूरी तरफ विफल हो गई। भाजपा अपने खुद के पंरपरागत वोटरों तक को सहेज कर नहीं रख सकी। इसका उदाहरण यह है कि भाजपा प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य के अपने खुद के गांव धौलपुर खेड़ा में भी जीत दर्ज नहीं कर सके। वहीं राज्यसभा सदस्य हरनाथ सिंह यादव के गांव बल्लमपुर में भाजपा मात्र तीन वोट ही हासिल कर सकी।
भाजपा ने इस बार शाक्य प्रत्याशी के रूप में रघुराज सिंह शाक्य को प्रत्याशी बनाया था। भाजपा की रणनीति थी कि मुलायम सिंह के शिष्य और शिवपाल के करीबी रहे रघुराज जसवंतनगर में समाजवादी पार्टी की बढ़त को कम करेंगे। दूसरी तरफ संख्या बल में दूसरे नंबर पर माने जाने वाले शाक्य मतदाताओं का साथ उनको मिलेगा। परंतु मैनपुरी की चारों विधानसभाओं में रघुराज सिंह शाक्य को मतदाताओं का साथ नहीं मिला।

स्थानीय नेताओं की नाराजगी ने कराई हार
भाजपा की हार का सबसे बड़ा कारण स्थानीय नेताओं से मतदाताओं की नाराजगी को माना जा रहा है। भाजपा के परंपरागत वोटर कहे जाने वाले क्षत्रिय, ब्राह्मण, लोध आदि मतदाताओं में बड़े पैमाने पर असंतोष था। संगठन इस नाराजगी को भांपने में नाकाम रहा। इसके चलते ही इन वर्गों के मतदाताओं ने भी समाजवादी पार्टी प्रत्याशी को भरपूर वोट किया। यही कारण रहा कि समाजवादी पार्टी को हर विधानसभा क्षेत्र से बड़ी जीत मिली।
स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव से भी आगे निकला डिंपल की जीत का आंकड़ा, सभी विधानसभा क्षेत्रों में एकतरफा पड़े वोट
मैनपुरी लोकसभा सीट पर गुरुवार को संपन्न हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी उम्मीदवार डिंपल यादव ने 2.88 लाख मतों से ज्यादा के अंतर से प्रचंड जीत हासिल की है। मैनपुरी सीट पर मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पुत्रवधू डिंपल यादव ने परिवार की राजनीतिक विरासत को बरकरार रखा ही, साथ ही जीत का नया कीर्तिमान भी गढ़ दिया। यह भी प्रमाणित कर दिया कि मुलायम का यह गढ़ ढहाना भाजपा के लिए अभी बहुत दूर की कौड़ी है। क्योंकि मुलायम सिंह का अखाड़ा कहे जाने वाले इस क्षेत्र के चुनाव में डिंपल की जीत उनसे भी आगे निकल गई।
मैनपुरी लोकसभा सीट डिंपल यादव यह चमत्कार कर गढ़ की ‘महारानी’ बन गईं। मैनपुरी लोकसभा सीट को समाजवादी पार्टी का गढ़ कहा जाता है। समाजवादी पार्टी का गठन भले ही वर्ष 1992 में हुआ, परंतु मुलायम सिंह यादव के राजनीति में उभार की साथ ही यहां उनका वर्चस्व बन गया था। उनके समर्थन या पार्टी वाले प्रत्याशी ही सांसद बनते रहे।

मुलायम सिंह यादव को मोदी लहर में मिली थी प्रचंड जीत
समाजवादी पार्टी के गठन के बाद मुलायम सिंह यादव खुद वर्ष 1996 में मैदान उतरे और सांसद बने। इसके बाद से समाजवादी पार्टी यहां अजेय रही है। वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में जब भाजपा को मोदी लहर में प्रचंड जीत मिली थी, तब भी मुलायम सिंह यादव का गढ़ बरकरार रहा था।
भाजपा ने लगाई पूरी ताकत
मुलायम सिंह के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा इस गढ़ को ढहाने के लिए पूरी ताकत से मैदान में उतरी थी। भाजपा ने शाक्य प्रत्याशी के रूप में रघुराज सिंह शाक्य को मैदान में उतारा था। दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी डिंपल यादव को प्रत्याशी बनाया। अखिलेश, डिंपल, शिवपाल और उनके पूरे परिवार ने नेताजी की विरासत को बचाए रखने के लिए दिन-रात पसीना बहाया। लोकसभा क्षेत्र की जनता की सहानुभूति का उनकाे पूरा साथ मिला। ऐसे में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा।
एकतरफा वोटों की बारिश, 288461 वोटों से जीतीं
गुरुवार को जब मतगणना आरंभ हुई तो ईवीएम ने यह साक्ष्य देना शुरू कर दिया कि समाजवादी पार्टी का गढ़ बरकरार रहेगा। डिंपल यादव पहले राउंड से ही भाजपा प्रत्याशी से आगे निकल गईं। इसके बाद हर राउंड की गिनती में बढ़त का आंकड़ा बढ़ता चला गया। भाजपा प्रत्याशी कभी भी मुकाबले में नजर नहीं आया। अंत में डिंपल यादव ने 618128 कुल मत प्राप्त किए, जबकि भाजपा प्रत्याशी को कुल 329659 मत मिले। डिंपल यादव को 288461 मतों की बढ़त से विजय प्राप्त हुई।
जीत के बड़े कारण
मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण मिली सहानुभूति।
शिवपाल यादव और अखिलेश यादव का एक साथ आना।
अखिलेश यादव व पूरे परिवार का गांव-गांव प्रचार।
हर जाति-वर्ग के मतदाताओं से संपर्क-संवाद।
वोट के रूप में नेताजी को श्रद्धांजलि देने की अपील।
मतदाताओं को बूथ तक लाने की रणनीति।
शिवपाल यादव बोले- समाजवादी थे, हैं और रहेंगे, एक साथ मिलकर लड़ेंगे 2024 का चुनाव
प्रसपा का सपा में विलय होते ही शिवपाल ने अपने ट्विटर हैंडल से राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसपा हटाकर नेता-समाजवादी पार्टी लिख लिया। अखिलेश ने पैर छूकर चाचा शिवपाल का आशीर्वाद लिया।
मैनपुरी उपचुनाव में जीत के बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) का समाजवादी पार्टी में विलय हो गया। गुरुवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल सिंह यादव को सपा का झंडा दिया, जिसे बाद में शिवपाल की गाड़ी पर लगाया गया। शिवपाल ने कहा कि वह समाजवादी थे, हैं और हमेशा रहेंगे। 2024 का चुनाव एक साथ मिलकर लड़ेंगे।
प्रसपा का सपा में विलय होते ही शिवपाल ने अपने ट्विटर हैंडल से राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसपा हटाकर नेता-समाजवादी पार्टी लिख लिया। झंडा देने के दौरान अखिलेश भी बोले, चाचा समाजवादी। लखनऊ से लौटने के बाद अखिलेश यादव दोपहर में सैफई स्थित एसएस मेमोरियल पब्लिक स्कूल पहुंचे और चाचा शिवपाल सिंह यादव और तमाम कार्यकर्ताओं मुलाकात की। अखिलेश ने पैर छूकर चाचा शिवपाल का आशीर्वाद लिया। बातचीत के बाद अखिलेश ने तमाम लोगों की मौजूदगी में चाचा शिवपाल को सपा का झंडा सौंपा।
जिसे शिवपाल ने जिला पंचायत अध्यक्ष अंशुल यादव के हाथ में दिया। इसके बाद इस झंडे को अंशुल यादव ने शिवपाल सिंह यादव की गाड़ी में लगाया। गाड़ी पर पहले प्रसपा का झंडा लगा था। इस दौरान शिवपाल के बेटे आदित्य यादव उर्फ अंकुर भी मौजूद रहे। मीडिया से बातचीत में शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि वह हमेशा से समाजवादी थे। अब उनकी पार्टी का सपा में विलय हो गया है। आने वाले चुनाव अब मिलकर लड़ेंगे। यहां करीब दो घंटे तक अखिलेश और शिवपाल कार्यकर्ताओं के बीच रहे। इसके बाद दोनों ने अकेले में बात की। यहां से अखिलेश फिर मैनपुरी के लिए रवाना हो गए।
अखिलेश की कोठी के बाहर जमा हुए कार्यकर्ता, जताई खुशी
डिंपल यादव की जीत की घोषणा होने के बाद सपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की भीड़ अखिलेश यादव की सैफई स्थित कोठी के बाहर जमा हो गई। यहां सभी लोगों ने जीत पर खुशी जताई। एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया। एसएस मेमोरियल पब्लिक स्कूल पर भी कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे को जीत की बधाई दी और मुंह मीठा कराया। जिला पंचायत अध्यक्ष अंशुल यादव के शहर स्थित आवास पर भी कार्यकर्ता जमा रहे और जीत की घोषणा होते ही खुशी का इजहार किया। इसके बाद यहां से सभी लोग सैफई रवाना हो गए।
अंत्येष्टि स्थल पर पिता को किया नमन
लखनऊ से आने के बाद अखिलेश यादव सुबह सबसे पहले सैफई तहसील क्षेत्र के ग्राम भलासैया में एक शादी समारोह में शामिल हुए। इसके बाद सैफई मेला ग्राउंड स्थित पिता मुलायम सिंह यादव के अंत्येष्टि स्थल पर गए और पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद ग्रामीणों और कार्यकर्ताओं से जगह-जगह रुककर मुलाकात की। लोगों ने फूल माला पहनाकर अखिलेश का स्वागत किया। इससे पहले शिवपाल सिंह यादव, अभयराम यादव और राजपाल यादव ने भी अंत्येष्टि स्थल पर पुष्प अर्पित कर नेताजी को श्रद्धांजलि दी।





