Krishna Janmashtami 2018, Happy Birthday Lord Sri Krishna!

कृष्ण जन्माष्टमी 2018: आज रात होगा बांके बिहारी का जन्म, पूजन के समय इन पांच बातों का रखें ध्यान
कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व दो दिन मनाया जाएगा। भक्तों से निवेदन है कि पूजन के वक्त वह इन बातों का खास ध्यान रखें।
रविवार को अर्ध रात्रि से अष्टमी लग रही है। इसलिए श्रद्धालुओं को रविवार को व्रत रखकर पर्व मनाना पड़ेगा। वैष्णवों और बैरागियों की जन्माष्टमी सोमवार को पड़ रही है। नंदोत्सव मंगलवार को मनाया जाएगा। रविवार को रात्रि 8.48 बजे तक सप्तमी तिथि है। इस प्रकार जिस समय भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, वह तिथि रविवार की रात को ही पड़ेगी।
सोमवार की रात को 9.20 बजे तक अष्टमी है और उसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी। संयोग यह है कि भगवान का जन्म जिस रोहिणी नक्षत्र में हुआ था वह नक्षत्र सोमवार को ही लग रहा है, जबकि सोमवार को आधी रात नवमी लग जाएगी। इस प्रकार विद्वानों का मानना है श्रीकृष्ण जन्मोत्सव रविवार को ही मनाया जाना चाहिए।
स्मार्त सम्प्रदाय के लिए यही दिन धर्मसिंधु द्वारा सुझाया गया है, लेकिन रविवार को रोहिणी नक्षत्र उपलब्ध नहीं होगा, उस दिन कृतिका नक्षत्र पड़ रहा है। बहरहाल कृष्ण जन्मोत्सव दोनों दिन मनाया जाएगा। रविवार को शीतला सप्तमी भी है और धूमास योग पड़ रहा है। सोमवार को जन्माष्टमी का पर्व प्रवर्धमान नक्षत्र में मनाया जाएगा। गोकुल में भगवान श्रीकृष्ण के आगमन की खुशियां मंगलवार को नंदोत्सव के रूप में वैष्णव सम्प्रदाय द्वारा मनाई जाएंगी।
जन्माष्टमी पर पूजन करते वक्त हर भक्त को इन पांच बातों का खास ध्यान रखना होगा। कृष्ण जी के प्रिय माखन-मिश्री, पीले वस्त्र, पीले फल, मोर पंख और तुलसी घर के मंदिर में या किसी ऐसे मंदिर में जा कर अर्पित करें। जहां कृष्ण जन्म मनाया जा रहा हो।
स्नान करके साफ वस्त्र पहन धारण करके ही भगवान कृष्ण की प्रतिमा को स्पर्श करें। कृष्ण को चढ़ाई जाने वाली सभी चीजों को गंगा जल छिड़कर पवित्र कर लें। भगवान को सभी चीजें दाहिने हाथ से अर्पित करें। तुलसी दल, माखन मिसरी और पीले फल प्रसाद के रूप में लोगों को बांट दें।
कृष्ण जन्माष्टमी 2018 : आज कतई न करें ऐसा वरना भोगना पड़ेगा तीन गुना पाप
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व व्रत शास्त्रानुसार रविवार को रहेगा। जबकि वैष्णव, योगी, यती, सन्यासियों का व्रत सोमवार को रहेगा।
उत्तराखंड ज्योतिष रत्न से सम्मानित आचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने बताया कि रविवार का यद्यपि दिन भर सप्तमी तिथि है, जबकि रात्रि 8 बजकर 48 मिनट से अष्टमी शुरू होगी।
बताया कि इसी समय पर कृतिका नक्षत्र समाप्त होकर रोहिणी नक्षत्र आरंभ होगा। जिस नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का अवतार हुआ था। लिहाजा जन्माष्टमी का महत्व उस दिन रोहिणी नक्षत्र के साथ निहित होता है। इस दौरान भक्तों को कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
इस दिन अगर आप दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं तो तीन गुना पाप आपको भोगना पड़ता है। जन्माष्टमी पर कोई बुरा काम न करें। अगर घर में कान्हा की कोई पुरानी मूर्ति है तो इस दिन उसकी पूजा भी करें।
जन्माष्टमी के व्रत पर घर में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लक्ष्मी खुश होती है। इस दिन घर में विवाद न करें। इस दिन भगवान कृष्ण के भोग में तुलसी का पत्ता जरूर रखें। तुलसी भगवान को बेहद प्रिय है। जन्माष्टमी पर सात्विक भोजन करना चाहिए। इस दिन मांस, मछली और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
कृष्ण जन्माष्टमी 2018: सालों बाद बन रहा अद्भुत संयोग, इस शुभ मुहूर्त में व्रत रखने से मिलेगा सौभाग्य
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर चारों तरफ उत्साह बना हुआ है। लेकिन ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इसबार कृष्ण जन्माष्टमी पर ठीक वैसा ही संयोग बना है, जैसा द्वापर युग में कान्हा के जन्म क समय बना था। इस खास संयोग को कृष्ण जयंती के नाम से जाना जाता है। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में आधी रात यानी बारह बजे रोहिणी नक्षत्र हो और सूर्य सिंह राशि में तथा चंद्रमा वृष राशि में हों, तब श्रीकृष्ण जयंती योग बनता है।
उत्तराखंड विद्वत सभा के पूर्व अध्यक्ष पं. उदय शंकर भट्ट के अनुसार, इस साल भाद्रपद की कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि दो-तीन सितंबर को दो दिन आने से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व को लेकर असमंजस की स्थिति बन रही है। ऐसे में लोगों में दुविधा है कि आखिर किस दिन पर्व मनाया जाए। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि ऐसी स्थिति में निर्णय सिंधु के अनुसार अष्टमी व्यापिनी तिथि में ही जन्माष्टमी का पर्व मनाना शास्त्र सम्मत है। ऐसे में दो सितंबर को व्रत, जागरण और तीन सितंबर को जन्मोत्सव मनाना श्रेष्ठ है।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि की रात्रि को हुआ था। हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था। इस साल अष्टमी तिथि रविवार दो सितंबर को रात्रि 8.51 बजे से शुरू हो रही है, जो कि सोमवार तीन सितंबर को शाम 7.21 बजे तक रहेगी। ऐसे में इस बार अष्टमी तिथि दो दिन आने से लोग दुविधा में हैं कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दो सितंबर को मनेगी या तीन को।
इस प्रश्न का उत्तर निर्णय सिंधु में दिया गया है। इसमें कहा गया है कि अर्द्ध व्यापिनी सप्तमी युक्त अष्टमी को व्रत, उपवास और जागरण करना चाहिए। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि किसी भी पर्व के दिन को तय करने में तिथि महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। वार और नक्षत्र का इसमें इतना असर नहीं पड़ता है। इस लिहाज से निर्णय सिंधु के अनुसार दो सितंबर को अर्द्धरात्रि व्यापिनी अष्टमी को व्रत, उपवास और जागरण करना शुभ है, जबकि अगले दिन तीन को जन्मोत्सव को मनाया जाना चाहिए।
कभी-कभी हिंदू पर्वों की तिथि निर्णय में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस दुविधा को दूर करने के लिए धर्माचार्यों और विशेषज्ञों ने समस्त धर्मशास्त्र और पुराणों का सार संग्रह करके बड़े-बड़े निबंधों की रचना की है। यह इतने वृहत हैं कि सर्वसाधारण की समझ और पहुंच से परे हैं। उन निबंधों को देखते हुए हिंदू धर्म शास्त्र, पुराणों का सार संग्रह करके निर्णय सिंधु नामक ग्रंथ की रचना की गयी है। धर्मशास्त्रों में प्रमाणिकता की दृष्टि में निर्णय सिंधु मान्य है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2018: राशि के अनुसार लगाएं कान्हा को भोग, चमक जाएंगे किस्मत के तारे
भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में जन्मे श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव दो सितंबर को आधी रात को मनाया जाएगा। आचार्य डा. सन्तोष खन्डूडी के अनुसार, इस साल अष्टमी तिथि रविवार दो सितंबर को रात्रि 8.51 बजे से शुरू हो रही है, जो कि सोमवार तीन सितंबर को शाम 7.21 बजे तक रहेगी। इसलिए दो सितंबर को ही व्रत रखना शुभ होगा। इस दिन कान्हा का घी शहद, दूध, दही आदि पंचअमृत से अभिषेक कराया जाता है। लेकिन अगर आप राशि के अनुसार कान्हा को भोज लगाएंगे तो आपके जीवन में तरक्की के रास्ते खुलेंगे।
मेष – श्री कृष्ण जी की कृपा आप पर रहेगी। सामाजिक रुप से यश और कीर्ति में वृद्धि होगी। मिश्री का भोग लगाने से कृष्ण जी प्रसन्न होंगे।
वृषभ – जन्माष्टमी का दिन शुभ फ लदाई है। व्यवसाय में स्थिति अनुकूल रहेगी तथा आपके कार्य की प्रशंसा होगी। मक्खन का भोग लगाएं
मिथुन – धन प्राप्ति का के लिए अच्छा दिन है। अधिकारियों के साथ वाद-विवाद ना करें अन्यथा हानि हो सकती है दही का भोग लगाएं ।
कर्क – वाणी पर संयम रखें। माध्य के बाद विदेश से शुभ समाचार प्राप्त होगा। संतान के विषय में चिंता रहेगी। पीला माखन का भोग लगाएं ।
सिंह- स्वास्थ्य अनुकूल रहेगा। मित्रों तथा संबंधियों के साथ घूमने फिरने की योजना बनाएंगे क्रोध और वाणी पर संयम रखें मिश्री माखन का भोग लगाएं
कन्या- कार्य में सफलता मिलेगी आनंदित होंगे। यश और कीर्ति में वृद्धि होगी। अच्छे समाचार प्राप्त होंगे। परिवार में सुख संपत्ति बनी रहेगी। फल और मक्खन का भोग लगाएं ।
तुला- सृजनात्मक कार्य करने में आगे बढ़ेंगे संभव हो सके तो यात्रा टाल दे। आकस्मिक खर्च के योग हैं। मक्खन से बना प्रसाद का भोग लगाएं।
वृश्चिक – आर्थिक योजना बनाना सफल होगा। माध्य के बाद वैचारिक स्थिरता नहीं रहेगी। नए वस्त्र भूषण तथा प्रसाधन के पीछे धन ख़र्च होने की आशंका है । खीर का भोग लगाएं ।
धनु- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य आज बना रहेगा। भौतिक वस्तु पर खर्च होंगे । कागजों पर हस्ताक्षर करते हुए सावधानी बरतें। मिश्री माखन का भोग लगाएं।
मकर- राशि वाले जन्माष्टमी पर अधिक वाद विवाद ना करें धार्मिक कार्यों और उपासना के पीछे धन ख़र्च हो सकता है। भाग्य में वृद्धि के योग हैं। सफेद मिष्ठान का भोग लगाएं ।
कुंभ- नकारात्मक भावनाओं को महत्व ना दें। शिक्षा के मामले में छात्रों के लिए दिन अच्छा है। धन लाभ हो सकता है। पंजीरी का भोग लगाएं ।
मीन- धन के लेन देन उगाही में निवेश करते समय सावधानी बरतें । वाणी और क्रोध पर संयम बरतें अन्यथा हानि हो सकती है। केले का भोग लगाएं।





