Kannauj turns 24 Years
24 साल का हुआ कन्नौज, समाजवादी पार्टी सरकार में विकास, मगर भाजपा सरकार में काम वहीं का वहीं रुका हुआ
मैं कन्नौज हूं..आदिकाल से लेकर अब तक विश्वपटल पर मेरी पहचान बरकरार है। सनातन सभ्यता से लेकर हर्षवर्धन काल की संपन्नता और मुगलों के आक्रमण, संघर्षो से मेरा गहरा नाता रहा है। मुझे मिटाने के कुत्सित प्रयास हुए, लेकिन मेरी पहचान को मिटाने के मंसूबे ध्वस्त हो गए। मेरी कोख कभी वीरों से खाली नहीं रही। मेरे नामकरण के पीछे की कहानी भी रोचक है।
विकास को विकसित होने की दरकार
आदिकाल में दो महातपस्विनी कान्या और कुब्जा के नाम पर कान्यकुब्ज हुआ, जो बाद में अपभ्रंश होकर कन्नौज हो गया। क्षत्रिय कुल से ब्रह्मर्षि बने विश्वामित्र का जन्म भी यहीं हुआ। उनके पिता गाधि की राजधानी के रूप में जब मेरा प्रतिस्थापन हुआ तो महाराज हर्षवर्धन के समय मैं अखंड भारत की राजधानी रहा। मौर्य वंश, गुर्जर प्रतिहार वंश, पाल वंश, गहरवार वंश के राजाओं की राजधानी के रूप में मेरी विशेष पहचान रही।
आज के ही दिन 18 सितंबर 1997 को मुझे तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने जिले के रूप में पहचान दिलाई, इससे पहले मैं फर्रुखाबाद जिले की तहसील के रूप में था। आज मैं 24 साल का हो गया हूं। 24 साल की इस यात्रा में यहां कई विकास कार्य हुए। इनमें से कुछ तो विश्वस्तरीय विकास कार्य हैं। मगर राजनीतिक उपेक्षा और इच्छाशक्ति के अभाव में वो आज भी अधूरे हैं।
इन अधूरे विकास कार्य को विकसित होने की दरकार है। भवन होने के बाद जब संसाधनों और सुविधाओं के अभाव में लोगों को कष्ट होता है तो मेरा भी हृदय रो उठता है। कोरोना काल जैसी विपदा हम सबने देखी, अगर मेडिकल कालेज में समय से पहले सुविधाएं मुहैया करा दीं जातीं तो मेरे आंगन में चित्कारों का करुण क्रंदन सुनाई न देता। उम्मीद है कि अब मेरी उपेक्षा नहीं होगी। विकास को विकसित करेगी, ताकि इत्र की खुशबू दूर-दूर तक महके। किसानों को उनकी फसलों का सही दाम मिल सके। यहां के लोग अच्छी शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य के धनी हो सकें।
ये काम हों पूरे तो और बढ़े रुतबा
1: इत्र पार्क
समाजवादी पार्टी सरकार में ठठिया क्षेत्र में 250 एकड़ जमीन में 25727.43 लाख की लागत से विश्वस्तरीय इत्र पार्क बनना था। चाहरदीवारी ही बन पाई थी कि नई सरकार में काम रुक गया। विपक्ष ने मुद्दा उठाया तो फिर तय हुआ कि पहले 30 एकड़ में बनेगा, उसके बाद जरूरत के हिसाब से इसका क्षेत्रफल बढ़ाते रहेंगे। मगर काम वहीं का वहीं रुका हुआ है।
अगर ये बनता तो इत्र नगरी में रोजगार की संभावनाएं पैदा होतीं और कारोबार को नई ऊंचाई मिलती।
2: ठठिया मंडी
समाजवादी पार्टी सरकार में वर्ष 2016 में विशिष्ठ मंडी के निर्माण की आधारशिला रखी गई थी, जिसकी लागत 100 करोड़ रुपये थी। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के निकट 32.7674 हेक्टेयर में बनने वाली मंडी का काम सरकार बदलते ही रुक गया। अगर यह बन जाती तो यहां के किसानों को आलू बेचने के लिए कानपुर, लखनऊ नहीं जाना पड़ता। साथ ही जनपद समेत औरैया, फर्रुखाबाद, कानपुर देहात समेत कई जिलों के किसान लाभांवित होते।
3: कैंसर-कार्डियोलाजी अस्पताल
समाजवादी पार्टी सरकार में तिर्वा कस्बा में 16331.44 लाख लागत से इसका निर्माण अगस्त 2013 में शुरू हुआ था। तकरीबन भवन बना हुआ है, फर्नीचर आदि की जरूरत है। बजट न मिलने के कारण काम रुका है। इसके बनने से आसपास के जनपदों के मरीजों को दिल्ली, लखनऊ, कानपुर जैसे शहरों में चक्कर नहीं काटने पड़ते। यही हाल कार्डियोलाजी का है। इसका निर्माण 13356.25 लाख की लागत से अगस्त 2013 में शुरू हुआ था। बजट न मिलने से भवन अधूरा है।
4: विधि विज्ञान प्रयोगशाला
समाजवादी पार्टी शासनकाल में ग्राम निकवा के पास प्रदेश की दूसरी बड़ी विधि विज्ञान प्रयोगशाला बन रही है। इसके लिए 100 करोड़ रुपये का खर्च निर्धारित था। निर्माण कार्य 25 अक्टूबर 2016 को शुरू हुआ था। बजट के अभाव में अब तक कार्य पूर्ण नहीं हो सका है। 5974 लाख लागत से बनने वाले राजकीय इंजीनियरिग कालेज और 22843.83 लाख की लागत से बनने वाले पैरामेडिकल कालेज का भी यही हाल है। बजट न मिलने से काम अधूरा है।
क्या बोले जनप्रतिनिधि
इस सरकार ने कन्नौज को दिया कम, छीना अधिक है। सपा सरकार में स्वस्थ्य सेवाएं कैसी थीं और अब कैसी हैं। सभी को पता है। ये योजनाएं जो थीं, सपा वालों के लिए तो थी नहीं, अस्पताल, मंडी, कालेज ये सब कन्नौज की जनता और आसपास के जिलों के लोगों के लिए थीं। मगर ये सरकार नया तो कुछ कर नहीं सकी पुरानी भी पूरा नहीं किया। अगर करती तो यहां के लोगों को लाभ होता। इस सरकार को कन्नौज से एलर्जी है। जबकि सांसद-विधायक भी कन्नौज ने दिए। -नवाब सिंह, समाजवादी पार्टी





