Irrigation officers duped 50 crores in three years in Yogiraj
उत्तर प्रदेश के योगी राज में झांसी में खेतों तक पानी पहुंचाने के नाम पर तीन साल में पचास करोड़ हजम कर गए सिंचाई अफसर
- फसलों की सिंचाई के लिए बनाई गईं कई योजनाएं चढ़ गईं भ्रष्टाचार की भेंट
- घोटालों की पुष्टि होने पर कई अधिकारी हो चुके निलंबित
बुंदेलखंड के प्यासे खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए सरकार ने सिंचाई के लिए कई योजनाएं शुरू कीं। लेकिन अफसरों ने इनका इस्तेमाल सिर्फ अपनी जेब भरने में अधिक किया। वर्ष 2017 से लेकर अब तक पिछले तीन साल के भीतर ही कई सिंचाई योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गईं। अब तक करीब पचास करोड़ रुपये के घोटाले की पुष्टि हो चुकी है।
घोटालों के आरोप में एक सहायक अभियंता, चार अधिशासी अभियंता, नौ अवर अभियंता, छह जूनियर अभियंता निलंबित हो चुके हैं। कृषि विभाग के तीन अफसर भी लपेटे में आ चुके हैं। छह फर्म के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जानी है। लेकिन इन सबके बावजूद अफसरों की कार्यशैली में कोई सुधार नहीं आ रहा। सिंचाई विभाग में फैले भ्रष्टाचार की खबरें रोजाना सामने आ रही हैं।
केस एक
एरच बांध परियोजना में साढ़े सोलह करोड़ का घपला
एक एसई, दो एक्सईएन, सात एई एवं छह जेई पर आरोप तय
गरौठा में करीब 610 करोड़ की लागत से प्रस्तावित एरच बांध परियोजना घपलों में दबकर रह गई। इस बांध परियोजना पर 401 करोड़ की मोटी धनराशि खर्च हो चुकी। लेकिन पिछले दो साल से यहां काम बंद है। यहां हुए घपलों की जांच ईडब्ल्यूएस से कराई गई। इसमें बांध निर्माण के दौरान नीचे से निकले पत्थरों को बिना टेंडर कराए बेचे जाने की पुष्टि हुई। जांच रिपोर्ट में माना गया कि खोदाई में निकले पत्थरों की नीलामी नहीं हुई। अभियंताओं ने मिलीभगत से इस खनिज को खुद बेच दिया। जिस खनिज की कीमत उस समय करीब सवा दो सौ रुपये थी उसे आधी से कम कीमत पर चहेतों ठेकेदारों को दे दिया गया। ईडब्ल्यूएस ने दूसरी गड़बड़ियां भी पकड़ीं। यहां करीब साढ़े सोलह करोड़ रुपये के घपले की पुष्टि हुई है। इसमें एक एसई, दो एक्सईएन, सात एई एवं छह जेई के अनियमितता में शामिल होना पाया गया।
केस दो
- लघु सिंचाई: चहेतों में बांट दिए तीस करोड़ के काम
- एक्सईएन समेत दो अवर अभियंता निलंबित, एजेंसियां ब्लैकलिस्ट
चेकडैम एवं तालाब के माध्यम से सिंचाई के लिए लघु सिंचाई विभाग को बुंदेलखंड पैकेज के तीस करोड़ रुपये दिए गए। इसके जरिए 40 चेकडैम एवं 44 तालाबों को गहरा किया जाना था। इसके लिए गांव चयनित हो गए। लेकिन, तत्कालीन अधिशासी अभियंता ने मिलीभगत से यह सारा काम अपने चहेते ठेकेदारों के बीच बांट दिया। शिकायत मिलने पर इसकी जांच कराई गई, जिसमें आरोपों की पुष्टि हो गई। इस मामले में अधिशासी अभियंता, दो अवर अभियंता को शासन ने निलंबित कर दिया जबकि तीन दर्जन से अधिक कार्यदायी एजेंसियों को गड़बड़ी के आरोप में ब्लैक लिस्ट कर दिया गया।
केस तीन
- बिना काम कराए कर दिया 77.35 लाख का भुगतान
- एक्सईएन, कैशियर एवं खंड लेखाधिकारी निलंबित
बेतवा प्रखंड के तत्कालीन अधिशासी अभियंता संजय कुमार ने सिल्ट सफाई, मरम्मत समेत अन्य कार्यों को कराए बिना ही छह ठेकेदारों को एडवांस के तौर पर 77.35 लाख रुपये का भुगतान कर दिया। मामला उजागर होने के बाद शासन स्तर से जांच शुरू हुई। इसमें अभियंता की ओर से अनियमित तरीके से भुगतान करने की पुष्टि हुई। शासन स्तर से अधिशासी अभियंता समेत कैशियर, सहायक लेखाधिकारी को निलंबित कर दिया। इसी तरह सपरार प्रखंड के एक्सईएन ने भी बिना टेंडर कराए करीब 22 लाख रुपये का काम ठेकेदारों के बीच बांट दिया। इस मामले की शासन से भी शिकायत की गई है।
केस चार
- तालाब बंधी बनाने पर 90 लाख का घपला
- तत्कालीन भूमि संरक्षण अधिकारी समेत तकनीकी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति
बुंदेलखंड में कम बारिश की वजह से सरकार ने खेतों में तालाब के जरिए बंधी बनाकर सिंचाई योजना आरंभ की लेकिन, इस योजना में भी जमकर खेल हुआ। इसको अमली जामा पहनाने की जिम्मेदारी कृषि विभाग के जलागम को दी गई। लेकिन अफसरों ने मनमाने तरीके से बिना काम कराए अधिकांश पैसा चहेतों में बांटकर पूरे पैसों को बंदरबांट कर दिया। उपनिदेशक भूमि संरक्षण अजीत सचान ने जांच में गड़बड़ी पकड़ी। जांच रिपोर्ट में उन्होंने तत्कालीन बीएसए (भूमि संरक्षण अधिकारी) समेत अन्य के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की लेकिन, अभी तक आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है।





