Income Tax Raid at Bjp Leader Chandra Kumar Gangwani House In Kanpur

कानपुर में अधिकारी दंपत्ति और बीजेपी नेता के घर IT का छापा
भाजपा नेता, आरटीओ, वाणिज्यकर अफसर के ठिकानों से पकड़ा ‘नोटों का जखीरा’
इनकम टैक्स विभाग की लगातार छापेमारी से खलबली मच गई है। कानपुर के काकादेव निवासी भाजपा नेता चंद्रकुमार गंगवानी की शताब्दी ट्रैवल्स फर्म के आठ ठिकानों पर जांच चल रही है। जांच का मुआयना करने आयकर निदेशालय के ज्वाइंट डायरेक्टर अमरेश कुमार तिवारी खुद यहां पहुंचे। इनके आवास से अब तक कुल 15 लाख रुपये कैश मिल चुका है। पहले दिन 10 लाख रुपये व दूसरे दिन पांच लाख रुपये की करेंसी और पता चली। गंगवानी के आवास और फर्म के सात ठिकानों पर मिले दस्तावेजों को सील कर दिया गया है।
खंगाला जाएगा छह साल का रिकार्ड
आयकर अफसरों ने पाया कि इनके कारोबार का कोई भी रिकार्ड मेनटेन नहीं था। किसी चीज का हिसाब नहीं मिला। मनमाफिक रिटर्न जमा किया जाता था। वाणिज्यकर में दिए गए टैक्स का भी कोई हिसाब नहीं। आय व्यय का रिकार्ड मेनटेन न होने की वजह से अफसरों ने बीते छह साल के दस्तावेजों की जांच का मन बनाया है। आयकर के सूत्र बताते हैं कि यह बड़ा मामला है। 20 करोड़ रुपये से अधिक की टैक्स चोरी सामने आएगी। बता दें कि इनकी शताब्दी ट्रैवल्स के फजलगंज में चार, काकादेव में तीन ऑफिसों व आवास पर एक साथ छापा मारा था।
एडिशनल कमिश्नर की महीने की कमाई 25 लाख
वाणिज्यकर के जोनल कार्यालय कानपुर में हर माह दो करोड़ रुपये से अधिक की अवैध वसूली होती है। इस कमाई का हिस्सा अधिकारियों से लेकर वाणिज्यकर मुख्यालय, शासन के अफसरों और मंत्रियों तक में बंटता था। खुद एडिशनल कमिश्नर केशव लाल की महीने की कमाई 25 लाख रुपये से अधिक है। हालांकि काली कमाई के ये सिर्फ मोहरा भर हैं। विभागीय सूत्र बताते हैं कि इससे बड़े कुबेर विभाग में डेरा डाले हैं।
यूं ही हंगामा नहीं करते थे व्यापारी
कानपुर शहर के व्यापारियों और वाणिज्यकर अफसरों के बीच झड़प और वाव विवाद आम बात है। बीते एक साल में कई ऐसे मौके आए जब व्यापारी और वाणिज्यकर के अफसर वसूली पर आमने सामने हुए। कई बार कमिश्नर मो. इफ्तेखारुद्दीन के सामने भी मामला उठा, लेकिन हल नहीं निकला।
बिना नेम प्लेट व वर्दी के सिपाही करते वसूली
वाणिज्यकर की सचल दल इकाइयों में बिना नेम प्लेट व वर्दी के सिपाहियों का साथ रहना आम बात है। यही सिपाही व्यापारियों के वाहनों से अवैध वसूली करते हैं। अमर उजाला में एक साल के दौरान कई बार ऐसी खबरें छपीं। अफसरों ने इन्हें संज्ञान लेने के नाम पर ढकोसला किया। आयकर की जांच में हकीकत सामने आई कि आखिर बिना वर्दी के सिपाहियों पर विभाग लगाम क्यों नहीं कस पाया था।





