Hospital denies to give dead body as payment of 3 lakh rupees due in Faridabad
कोरोना संक्रमित के इलाज का बिल 21 लाख, साढ़े तीन लाख रुपये नहीं देने पर फरीदाबाद में अस्पताल ने शव देने से किया इनकार
परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लगाया आरोप, कहा, अस्पताल ने बनाया 21 लाख का बिल। स्वास्थ्य विभाग के हस्तक्षेप के बाद सुलझा मामला, अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों को बताया निराधार।
राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के औद्योगिक जिले फरीदाबाद में एक कोरोना संक्रमित वृद्ध के इलाज का बिल 21 लाख रुपये हो गया। लंबे इलाज के बाद शुक्रवार सुबह वृद्ध ने दम तोड़ दिया। परिजनों का आरोप है कि साढ़े तीन लाख रुपये का बकाया नहीं जमा करने पर अस्पताल प्रबंधन ने 24 घंटे तक शव नहीं दिया। हालांकि बाद में स्वास्थ्य विभाग के हस्तक्षेप के बाद मामला सुलझा लिया गया। उधर अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि इलाज की मोटी रकम बकाया थी। फिर भी मांगने पर परिजनों को शव सौंप दिया गया।
कोरोना संक्रमण के बाद सेक्टर-21 डी निवासी भारत भूषण गुप्ता (63) को एशियन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार सुबह उनकी मौत हो गई। शनिवार तक परिजन शव लेने के लिए भटकते रहे। आरोप है कि उन्हें पहले बिल चुकाने की बात कहकर लौटा दिया गया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मामले हस्तक्षेप किया तो परिजनों को शव सौंपा गया। उधर अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों के आरोप को निराधार बताया है।
अमित मंगला ने बताया कि 24 घंटों तक अस्पताल ने उनके रिश्तेदार भारत भूषण गुप्ता की डेड बॉडी अस्पताल में रखी रही। शनिवार सुबह तक शव नहीं सौंपा गया था। अमित के मुताबिक भारत भूषण कोरोना के उपचार के लिए मई की शुरुआत में भर्ती कराया गया था। उपचार के बाद उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई। लेकिन उनका इलाज वेंटिलेटर पर ही चलता रहा। करीब एक माह के उपचार के लिए अस्पताल ने 21 लाख से अधिक का बिल बना दिया।
बिल चुकाने में तीनों बेटियों की बिगड़ी आर्थिक स्थिति
मृतक की तीन बेटियां हैं। एक बेटी बैंक कर्मी है, जिसने पिता के इलाज का पूरा खर्च उठाया। अंत में बिल कई गुना होने के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई। उनके पास बिल चुकाने के लिए पैसे नहीं बचे हैं।
अस्पताल प्रबंधन बोला, बिना बकाया वसूले सौंपा शव
एशियन अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. हिलाल अहमद ने कहा कि मृत्यु होने के बाद परिजन मरीज की डेड बॉडी लेने के लिए नहीं आए। वह केवल बिल माफ करने की बात करते रहे। मोटी रकम बकाया थी बावजूद इसके बिना बकाया वसूले परिजनों को शव सौंप दिया गया। बिल अभी भी बकाया है।
डिप्टी सीएमओ डॉ गजराज ने परिजनों ने फोन कर मामले की शिकायत की थी। अस्पताल प्रबंधन से बात कर आधे घंटे में मामला सुलझा लिया गया। नियमानुसार किसी की डेड बॉडी नहीं रोकी जा सकती।
अब तक छह अस्पतालों के खिलाफ मिली है शिकायतें
उपायुक्त यशपाल यादव ने बताया कि कोरोना काल में अब तक छह निजी अस्पतालों के खिलाफ शिकायत मिल चुकी है। इसमें से एक अस्पताल की जांच पूरी हो चुकी है, जबकि अन्य मामलों की जांच जारी है।
मुख्यमंत्री के आदेश हैं कि मरीजों से लूट-खसोट नहीं हो। इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है। यदि कोई भी निजी अस्पताल मरीजों की स्थिति का फायदा उठाकर ओवर चार्ज करेंगे तो मामला संज्ञान में आते ही कार्रवाई की जाएगी।





