Gangster Vikas Dubey spotted in Greater Faridabad
Pandit Vikas Dubey: ग्रेटर फरीदाबाद के हरी नगर से मिश्रा परिवार के कारनामे से स्थानीय लोग भी स्तब्ध, घर में मिला हथियारों का जखीरा
ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-87 न्यू इंद्रा कांप्लेक्स में मकान नंबर-38 निवासी मिश्रा परिवार के इस कारनामे से आसपास के लोग भी स्तब्ध हैं। अविकसित कॉलोनी के छोटे से मकान में रहने वाले श्रवण मिश्रा का परिवार पिछले करीब 8 साल से यहां रह रहा है। दोनों पिता-पुत्र श्रवण और अंकुर बेशक शराब ठेके पर काम करते थे, मगर कभी किसी ने उन्हें ऊंची आवाज में बात करते नहीं देखा। अब अचानक अपराधियों को पनाह देने का पता चला तो कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
श्रवण के मोहल्ले में रहने वाली एक महिला ने बताया कि मंगलवार दोपहर को पुलिस यहां आई थी। पुलिस ने आस पड़ोस के लोगों को घरों के अंदर कर दिया और बाहर नहीं निकलने की हिदायत दी। महिला के अनुसार काफी सारी पुलिसकर्मी थे और सभी ने बुलेट प्रूफ जैकेट और राइफल ले रखीं थीं।
कानपुर में हुए पुलिस शूटआउट का वह नामजद आरोपी है। श्रवण और अंकुर पिता-पुत्र हैं और विकास के दूर के रिश्तेदार हैं। मूल रूप से कानपुर के ही रहने वाले श्रवण ने करीब आठ साल पहले इंद्रा कांप्लेक्स में मकान बनाया था। पिता-पुत्र दोनों ही शराब ठेकों पर काम करते हैं।
पुलिस जब तक वहां रही, किसी को घर से बाहर नहीं निकलने दिया गया। महिला के अनुसार अंकुर की पत्नी गर्भवती है और उसकी डिलीवरी कभी भी हो सकती है। वहीं अंकुर की मां का भी रो-रोकर बुरा हाल है। श्रवण मिश्रा के घर पर मीडिया का जमावड़ा लगने के बाद पुलिस ने दोनों महिलाओं को घर के अंदर रहने के लिए कह दिया और बाहर पहरा बैठा दिया। पुलिस उनसे किसी को मिलने नहीं दे रही है। पुलिस के अनुसार अंकुर ने विकास दुबे और प्रभात उर्फ कार्तिकेय को अपने घर में पनाह दी थी। पुलिस ने अंकुर के घर से ही 9 एमएम की चार पिस्टल और 45 कारतूस बरामद किए हैं, जोकि विकास दुबे ने वहां छिपाए थे।
दो दिन फरीदाबाद में रहा विकास, स्थानीय खुफिया विभाग को नहीं हो सकी खबर
कुख्यात विकास दुबे अभी तक पुलिस से दो कदम आगे ही रहा है। दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, मध्यप्रदेश से लेकर यूपी के कई जिलों और नेपाल की सीमा तक जिस विकास को पुलिस विगत छह दिनों से तलाश रही थी, वह दो दिन फरीदाबाद में रहा और स्थानीय खुफिया विभाग को इसकी भनक तक नहीं लग पाई। पुलिस फरीदाबाद में जब तक उसके दोनों ठिकानों तक पहुंची, तब तक विकास दोनों ही जगह से फरार हो चुका था।
विकास की गिरफ्तारी के लिए यूपी पुलिस के साथ ही यूपी एसटीएफ को भी लगाया गया है। इसके साथ ही यूपी पुलिस ने आसपास के कई राज्यों में भी विकास को लेकर अलर्ट जारी कर रखा है। विकास और उसके गुर्गों के पोस्टर तक कई जिलों में चस्पा किए जा चुके हैं। इन सबके बावजूद विकास और उसके साथी दो दिनों तक फरीदाबाद में आराम से रहे। विकास ने एक रात अपने रिश्तेदार के घर काटी और दूसरी रात ओयो होटल में बिताई।
ग्रेटर फरीदाबाद की सोसायटियों को सुरक्षित मान रहे अपराधी
ग्रेटर फरीदाबाद की विभिन्न सोसायटियों में खासतौर से ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स अपराधियों के लिए सुरक्षित ठिकाने बन रहे हैं। इन फ्लैट्स का किराया ज्यादा नहीं होता। वहीं इनमें आने जाने को लेकर ज्यादा रोकटोक नहीं होती। आस-पास फ्लैट में रहने वालों को भी एक दूसरे से ज्यादा मतलब नहीं होता। ऐसे में अपराधी चुपचाप आकर इन फ्लैट्स में रुक जाते हैं। दूसरा स्लम क्षेत्र में रहने पर पुलिस की कोई नजर नहीं पड़ती और यहां कभी किराएदार पहचान अभियान नहीं चला। फरीदाबाद को सुरक्षित ठिकाना समझना अपराधियों की भूल है। हमारी टीमें उनके बारे में जानकारी जुटा लेती हैं और गिरफ्तार कर जेल भेजती है। ज्यादातर मामलों में फरीदाबाद पुलिस ने ही यहां छिपे आरोपितों को गिरफ्तार किया है। -मकसूद अहमद, डीसीपी क्राइम
फरीदाबाद से गिरफ्तार हुए विकास दुबे के तीन सहयोगियों में से एक कोरोना संक्रमित
कानपुर एनकाउंटर कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे की तलाश के दौरान पुलिस रेड में फरीदाबाद से गिरफ्तार तीन में से एक शख्स कोरोना संक्रमित पाया गया है। पुलिस ने इस बात की जानकारी दी है। पांच लाख के इनामी बदमाश विकास दुबे के फरीदाबाद में छुपे होने की सूचना पर पुलिस ने बुधवार को यहां पर रेड मारी थी। विकास दुबे यहां से भागने में कामयाब हो गया लेकिन उसके तीन साथियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। फरीदाबाद पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार किए गए तीन में से एक शख्स में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है।
गिरफ्तार श्रवण को न्यायिक हिरासत में भेजने से पहले कोरोना जांच करवाई गई, जिसमें वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इस तरह विकास दुबे एक कोरोना संक्रमित के सीधे संपर्क में था। अब उसे कोरोना वायरस से संक्रमित होने की भी आशंका है। संक्रमित पाए गए आरोपी को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने लाकर भर्ती कर लिया है।
ग्रेटर फरीदाबाद से गिरफ्तार किए गए बदमाशों की पहचान प्रभात, अंकुर और श्रवण के रूप में हुई है। इनमें से प्रभात बिकरू गांव का ही रहने वाला है। पुलिस ने इनके पास से कुल 4 पिस्टल और कारतूस बरामद किए हैं। इनमें से दो सरकारी पिस्टल हैं जो कानपुर कांड के दौरान पुलिस से लूटी गई थीं।
तीनों आरोपियों को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम का एहतियात के तौर पर कोरोना टेस्ट करवानेऔर रिपोर्ट न आने तक क्वारंटीन में रखने का निर्णय फरीदाबाद पुलिस ने लिया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि गिरफ्तारी से लेकर पूछताछ तक पूरी सावधानी बरती गई है। आरोपियों से दो गज की दूरी बनाकर ही पूछताछ हुई है। पकड़ने से पहले और बाद में सेनेटाइजर का उपयोग किया गया।
सूत्रों ने बताया कि मंगलवार की शाम, अपराध शाखा, फरीदाबाद को गुप्त सूचना मिली कि कुख्यात अपराधी विकास दुबे के कुछ सहयोगी हथियार सहित नहर पार एरिया के हरि नगर स्थित न्यू इंदिरा नगर कॉम्प्लेक्स में छिपे हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस कमिश्रर ओ.पी. सिंह ने डीसीपी (अपराध) मकसूद अहमद को आरोपियों की धरपकड़ के निर्देश दिए। अहमद की अगुवाई में एसीपी (अपराध) अनिल यादव ने तीन टीमों के साथ नहर पार एरिया में छापेमारी की। सूत्रों के अनुसार, छापे के दौरान छिपे बदमाशों ने पुलिस पर गोलीबारी कर भागने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हें धर दबोचा। गिरफ्तार आरोपी कार्तिकेय उर्फ प्रभात, अंकुर और श्रवण हैं।
रात में घर के बाहर की लाइट बंद होने से भी हुआ संदेह
अंकुर मिश्रा के एक पड़ोसी ने बताया है कि दो-तीन दिन से अंकुर के परिवार का व्यवहार कुछ बदला हुआ था। उन्होंने बताया था कि रिश्तेदार आए हुए हैं, मगर किसी रिश्तेदार को आते-जाते नहीं देखा। पहले परिवार के सदस्य रात में घर के बाहर लाइट जलाकर सोते थे, मगर दो-तीन से उनके घर के बाहर की लाइट बंद रहने लगी थी। इससे कुछ संदेह हुआ। परिवार के सदस्यों ने पड़ोसियों से कुछ मिलना-जुलना भी कम कर दिया था। एक अन्य पड़ोसी ने बताया कि अंकुर के परिवार वाले अक्सर चर्चा करते थे कि यूपी में एक रसूखदार व्यक्ति से उनकी रिश्तेदारी है। जिस दिन कानुपर में विकास दुबे द्वारा आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की खबर आई थी, उस दिन परिवार में काफी हलचल रही थी। अंकुर व उसके परिवार के अन्य सदस्य लगातार फोन पर किसी से बातचीत करते सुने गए थे। उनकी आवाज से परेशानी भी साफ झलक रही थी।
विकास दुबे के साथ आतंकवादियों जैसा ही सलूक होगा, कानपुर में जो हुआ वह आतंकी घटना से कम नहीं : आईजी
कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के तीसरे दिन आईजी रेंज मोहित अग्रवाल तीसरी बार रविवार को फिर कानपुर के बिकरू गांव पहुंचे। वहां उन्होंने विकास दुबे के जमींदोज किलानुमा मकान का निरीक्षण किया। आपरेशन विकास की गतिविधियों के बारें में उन्होंने बताया कि राजस्थान, हरियाणा और बिहार में भी पुलिस टीमें बनाकर कांबिंग शुरू हो गई है। इन सभी प्रदेशों के आईजी और डीआईजी सीधे संपर्क में हैं। इस चक्रव्यूह को भेद पाना आसान नहीं होगा। जल्द ही विकास पुलिस के शिकंजे में होगा। यह किसी आतंकी घटना से कम नहीं है। विकास के साथ वही सुलूक होगा जो एक आतंकवादी के साथ होता है।
नवादा गांव के चौधरियों की मारपीट से शुरू हुआ था विकास दुबे के अपराध का सफर, ये है अपराधिक इतिहास
कानपुर में गुरुवार देर रात दबिश देने गई पुलिस टीम के आठ जवानों को मौत की नींद सुलाने वाले विकास दुबे का अपराध करने का सिलसिला वर्ष 1990 से शुरू हुआ था। बिकरु गांव निवासी किसान के बेटे विकास ने पिता के अपमान का बदला लेने के लिए नवादा गांव के किसानों को वर्ष 1990 में पीटा था
विकास दुबे के खिलाफ शिवली थाने में पहला मामला दर्ज हुआ था। ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र में पिछड़ों की हनक को कम करने के लिए विकास को राजनीतिक संरक्षण मिलता गया। उस वक्त पूर्व विधायक नेकचंद्र पांडे ने विकास को संरक्षण दिया था। विकास क्षेत्र में दबंगई के साथ मारपीट करता रहा, थाने पहुंचते ही नेताओं के फोन आने शुरू हो जाते थे। कुछ दिनों बाद तो पुलिस ने भी विकास पर नजर टेढ़ी करनी छोड़ दी थी।
वर्ष 2000 में विकास ने इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडे को गोली मारकर पहला मर्डर किया था। वर्ष 2001 में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला को शिवली थाने के भीतर गोली मारकर मौत के घाट उतारकर विकास ने क्षेत्र में अपनी दहशत फैलाई। बिकरु और शिवली के आसपास क्षेत्र में विकास की दहशत कुछ इस कदर थी कि उसके एक इशारे पर चुनाव में वोट गिरना शुरू हो जाते थे।
चुनावी रंजिश में ही विकास की दुश्मनी लल्लन बाजपेई से हुई। शिवली क्षेत्र की जमीनों और बाजार की वसूली में अपना कदम रखने के बाद विकास की क्षेत्र में हनक बढ़ती गई। राजनीतिक संरक्षण और दबंगई के बल पर विकास जिला पंचायत सदस्य चुना गया और आसपास के तीन गांवों में उसके परिवार की ही प्रधानी कायम हो गई।
विकास के खिलाफ चौबेपुर थाने में हत्या, हत्या के प्रयास, रंगदारी वसूलना, लूट और फिरौती मांगने समेत कई संगीन धाराओं में 60 मुकदमे दर्ज हैं। विकास के खिलाफ गुंडा एक्ट और गैंगस्टर की कार्रवाई भी की जा चुकी है। वर्ष 2017 में विकास को यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था।
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का राजनीतिक इतिहास भी चौंकाने वाला है। यह जिस पार्टी की सरकार रहती है उसी पार्टी के दमदार नेताओं के संपर्क में रहकर अपनी सुरक्षा करता है। सबसे ज्यादा राजनीतिक पकड़ इसको बसपा की सरकार में मिली।





