Former MLA Yogesh Verma from Hastinapur to join Samajwadi Party
महापौर पत्नी सहित समाजवादी पार्टी का दामन थामेंगे पूर्व विधायक योगेश वर्मा, 16 जनवरी को लेंगे सदस्यता
बसपा से निष्कासित पूर्व विधायक योगेश वर्मा 16 जनवरी को महापौर पत्नी सुनीता वर्मा के साथ समाजवादी पार्टी का दामन थामेंगे। उनके साथ चार पूर्व विधायकों और एक दर्जन पार्षदों के भी समाजवादी पार्टी में शामिल होने की संभावना है। पूरी कवायद में समाजवादी पार्टी नेता अतुल प्रधान अहम भूमिका निभा रहे हैं। लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय में पति-पत्नी की साइकिल की सवारी का कार्यक्रम समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में होगा। दंपती अपने समर्थकों के साथ शुक्रवार को लखनऊ रवाना होंगे।
योगेश हस्तिनापुर से 2007 में विधायक रह चुके हैं। 2012 के चुनाव में बसपा से निष्कासित होने के बाद पीस पार्टी से चुनाव लड़े थे। दूसरे नंबर पर रहने के बाद उन्होंने बसपा में वापसी की और 2017 के चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे। योगेश को 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद अक्तूबर में योगेश को पत्नी सहित पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। तभी से उनके समाजवादी पार्टी और भाजपा में जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं।
उधर, चर्चा है कि समाजवादी पार्टी के कुछ नेता योगेश के पार्टी में आने का विरोध कर रहे हैं। इनको साधने के लिए योगेश की ज्वाइनिंग के समय लखनऊ बुलाया गया है। कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी में उनके शामिल होने का मामला हस्तिनापुर से टिकट पर अटका रहा था। यहां से बसपा के टिकट पर उनके मुकाबले चुनाव लड़ चुके प्रशांत वर्मा अब समाजवादी पार्टी में है। यही नहीं, समाजवादी पार्टी से विधायक रह चुके प्रभु दयाल बाल्मीकि भी चुनावी तैयारी में जुटे हैं। इन दोनों नेताओं के विरोध के चलते मामला खिंच रहा था।
योगेश व उनकी पत्नी का राजनीतिक इतिहास
योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा वर्ष 2000 में जिला पंचायत सदस्य बनीं। दौराला के धनजू गांव निवासी योगेश की अनुसूचित जाति में अच्छी पकड़ के चलते बसपा ने 2002 में हस्तिनापुर विधानसभा सीट से उन्हें टिकट दिया। हालांकि चुनाव हार गए। 2007 में बसपा ने फिर उसी सीट से उतारा और चुनाव जीत गए। 2010 में उनके भाई ब्लाक प्रमुख बने। 2012 में योगेश हस्तिनापुर से ही पीस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन पराजय मिली हालांकि, दूसरे स्थान पर रहने के कारण राजनीतिक गलियारे में चर्चा रही। 2017 में बसपा में शामिल हुए और फिर वहीं से चुनाव लड़े। जीत नहीं सके पर साख बनी रही। इसी की बदौलत उनकी पत्नी सुनीता वर्मा को मेरठ से महापौर का टिकट मिला। चुनाव में जीत मिलने पर पार्टी में दबदबा हो गया। दो अप्रैल की ङ्क्षहसा में जेल जाने से पहचान बढ़ी। पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बुलंदशहर से मैदान में उतारा लेकिन वह चुनाव हार गए। दो अप्रैल की ङ्क्षहसा में गए थे जेल 2011 में विधायक रहने के दौरान एक विवाद के चलते उन्हें पार्टी से निष्कासित किया गया था। इस पर उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। बहरहाल, 2017 में वापसी हुई। एससी-एसटी आरक्षण मामले पर दो अप्रैल 2018 की ङ्क्षहसा में उन्हें जेल भेजा गया और रासुका लगाई गई।
हस्तिनापुर सीट और पंचायत चुनाव पर भी पड़ेगा असर
दलित राजनीति में पकड़ बना चुके योगेश के समाजवादी पार्टी में जाने से हस्तिनापुर के साथ ही आगामी पंचायत चुनाव में पर भी असर पड़ेगा। वह एक तरह से निर्दलीय होते हुए भी बसपा को हस्तिनापुर में तगड़ा झटका दे चुके हैं। यही नहीं, दो अप्रैल 2018 के आंदोलन में भी उनका दलितों के बीच प्रभाव साफ नजर आया था।
2019 में उन्हें बुलंदशहर से लोकसभा चुनाव लड़ाया गया था, जिसमें वह हार गए। इसी बीच वह पत्नी सुनीता को बसपा के टिकट पर महापौर निर्वाचित कराने में कामयाब हुए। महानगर की राजनीति में यह उनका पहला कदम था। उधर, समाजवादी पार्टी द्वारा हस्तिनापुर से टिकट के दावेदार विपिन मनोठिया जिला पंचायत की राजनीति में लाए जाने की चर्चा है।
एक दर्जन पार्षद भी करेंगे दलबदल
महापौर सुनीता वर्मा के बसपा में शामिल होने से नगर निगम की राजनीति में भी बदलाव आएगा। समाजवादी पार्टी के पहले से सात पार्षद हैं। सुनीता के साथ करीब एक दर्जन पार्षद भी समाजवादी पार्टी की सदस्यता लेने जा रहे हैं। इसके बाद महापौर समर्थक पार्षदों की संख्या बसपा पार्षदों से ज्यादा हो जाएगी
बसपा से अलग होने के बाद भी नगर निगम की राजनीति में सबसे बड़े दल भाजपा को कार्यकारिणी चुनाव में दो बार पटखनी देने वाली महापौर सुनीता समाजवादी पार्टी में जाने के बाद और भी मजबूत होकर निकलेंगी। फिलहाल, नगर निगम के 90 सदस्यीय सदन में भाजपा के 43 पार्षद हैं, जबकि बसपा दूसरा सबसे बड़ा दल है और उसके पार्षदों की संख्या 19 है।
अतुल का दावा, गुर्जर-दलित समीकरण बनेगा
समाजवादी पार्टी नेता अतुल गुरुवार को योगेश के आवास पर पहुंचे। योगेश ने अतुल को सवा सौ लोगों की सूची सौंपी है, जो समाजवादी पार्टी में शामिल होंगे। इस दौरान योगेश ने कहा कि समाजवादी पार्टी सभी वर्गों के हित में कार्य करने वाली पार्टी है। उनकी विचारधारा से प्रेरित होकर ही मैंने पत्नी सहित समाजवादी पार्टी में जाने का निर्णय लिया है। वहीं, अतुल प्रधान ने कहा कि योगेश के आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी और जिले में गुर्जर-दलित समीकरण बनेगा।





