Coronavirus: Medical College in Meerut
कैसे लड़ेंगे कोराना से: मेरठ मेडिकल में खस्ता हाल, साबुन-मास्क-सैनिटाइजर का टोटा, चादर बनी रुमाल
कोविड-19 के महाखतरे से लड़ रहे जनसामान्य की उखड़ती सांसों को पुनर्जीवन देने वाला मेडिकल कॉलेज स्वयं स्ट्रेचर पर है। मरीजों की जिंदगी की टूटती डोर को मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों की मदद से मजबूती मिल जाए। लेकिन अस्पताल में वेंटिलेटर पर रखे संसाधनों को प्राणवायु कौन देगा।
कोरोना संक्रमण के मामले में शहर रेड जोन में है। 15 से अधिक इलाके सील हैं। कोरोना पीड़ितों का आंकड़ा 90 पार हो गया है। ऐसे में मेडिकल अस्पताल के संसाधन संक्रमण से जंग लड़ने में नाकाफी है। हजारों जिंदगियां बचाने में व्यस्त मेडिकल अस्पताल को आज समाज के सहयोग की दरकार है। संक्रमण के हाई अलर्ट माहौल में मेडिकल अस्पताल ऐसे दानवीरों के इंतजार में है जो यहां संसाधनों की टूटती डोर को थाम लें।
न चादर, न सैनिटाइजर
मेडिकल अस्पताल में कोरोना पीड़ितों का इलाज हो रहा है। लेकिन मरीजों को उचित मात्रा में साबुन, सैनिटाइजर, मास्क कुछ नहीं मिल रहा। अस्पताल प्रशाशन द्वारा मरीजों के पलंग पर पुरानी चादरें बिछाई गई हैं। चादरों का हाल ये है कि इन्हीं चादरों पर मरीज उल्टी करते हैं, नाक साफ करते हैं। यही चादरें दूसरे दिन तक बिछी रहती हैं।
कोविड-19 संक्रमण सफाई से हराने की बीमारी है, ऐसी स्थिति में जब मरीजों के पास साफ, अच्छी चादर नहीं हैं तो ठीक से इलाज कैसे होगा। दुनिया भर के डॉक्टर बार बार हाथ धोने, साबुन, सैनिटाइजर इस्तेमाल की बात कर रहे हैं, ऐसे में यहां संक्रमितों के लिए ही न पर्याप्त साबुन है न सैनिटाइजर।
खाद्यान हैं भरपूर, अब यहां है सहयोग की जरूरत
सरकार की तरफ से लगातार यह जानकारी दी जा रही है कि खाद्यान्न की कोई कमी नहीं हैं। लोगों को बांटने के लिए पूरा खाद्यान्न है। इसलिए संस्थाओं को अब भोजन, राशन वितरण नहीं बल्कि इन मरीजों को चादर व जरूरी सामान बांटने को आगे आना चाहिए।
लॉकडाउन के माहौल में तमाम समाजसेवी संगठनों, संस्थाओं व दानवीरों ने भूखों को भोजन कराया। पुलिस को मास्क, सैनिटाइजर बांटे। उस मदद की दरकार अब मेडिकल अस्पताल के मरीजों को हैं।
भूखों को भोजन कराने के लिए सामुदायिक रसोई संचालित हैं। लेकिन इन मरीजों को चादर, साबुन, सैनिटाइजर किसी रसोई से नहीं मिलेंगे। अक्षय तृतीया पर किये दान का अक्षय महत्व होता है। कुरान में भी रमजान में जकात और दान का महत्व है। दान का इससे शुभावसर और मदद का इससे बेहतर मौका क्या होगा।
मेडिकल अस्पताल में मरीजों को जरूरी संसाधन दान करें और वैश्विक महामारी से अपने समाज, शहर व देश को बचाने में सहयोग करें। सूत्रों के अनुसार इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए शासन की ओर से लगातार बजट जारी हो रहा है, लेकिन मरीजों को अब इन जरूरी सामानों की दरकार है। संस्थाएं आगे आएं और कोविड-19 से लड़ रहे मरीजों की मदद करें।
मेडिकल में अव्यवस्था के खिलाफ बोला व्यापार संघ
संयुक्त व्यापार संघ ने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए प्रदेश और केंद्र सरकार से शिकायत की है। साथ ही नोडल अधिकारी पर भी आरोप लगाए हैं। संयुक्त व्यापार संघ अध्यक्ष अजय गुप्ता नटराज का आरोप है कि व्यापारी विजय गर्ग और भाजपा नेता के पिता राकेश शर्मा को मेडिकल कॉलेज में सही चिकित्सा सुविधा नहीं दी गई। जिसके चलते उनकी मृत्यु हो गई।
विजय गर्ग को एंबुलेंस जांच के लिए उनके घर से मेडिकल ले गई थी। लेकिन उन्हें पैदल वापस आना पड़ा। वहीं, भाजपा नेता के पिता को इलाज के दौरान कुछ भी खाने के लिए नहीं दिया गया। संगठन ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
संघ के महामंत्री दलजीत सिंह ने कहा कि शहर में व्यापारियों का उत्पीड़न लगातार बढ़ रहा है। प्रशासन को व्यापारियों के साथ मिलकर समस्या का समाधान करना चाहिए। व्यापारी विजय गर्ग के साथ हुई घटना की संगठन निंदा करता है। मेडिकल प्रबंधन अगर चाहता तो बीमारी पर बहुत हद तक नियंत्रण हो सकता था। लेकिन मामले की गंभीरता को नही समझा गया।





