BJP Chief Amit Shah will visit to Lucknow from 29 to 31 July 2017

अमित शाह पहुंचे लखनऊ, जानें उनका 29 से 31 जुलाई 3 दिन का प्रोग्राम
अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर राजधानी लखनऊ पहुंचे अमित शाह ने इंद्रिरा गांधी प्रतिष्ठान में दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। यहां वह पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में हिस्सा ले रहे हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के 29 से 31 जुलाई तक तीन दिवसीय कार्यक्रमों को अंतिम रूप दे दिया गया है। शाह इस दौरान 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों का खाका खींचेंगे। साथ ही संगठन के लोगों के संग मंत्रियों, मुख्यमंत्री के अलावा संघ परिवार के संगठनों से भी बातचीत करेंगे।
राजधानी के प्रबुद्ध जनों से भी मुलाकात का भी उनका कार्यक्रम है। तीन दिन के प्रवास में वह कुछ मतदान केंद्रों पर भी जाएंगे। वह किसी दलित के यहां भोजन भी कर सकते हैं। संघ परिवार के संगठनों के साथ भी उनकी समन्वय बैठक होगी।
देश के अलग-अलग राज्यों के 92 दिन के प्रवास पर निकले शाह अलग-अलग राज्यों में तीन-तीन दिन रुककर सभी स्तर के कार्यकर्ताओं से संवाद कर रहे हैं। इस दौरान वह संगठनात्मक ढांचे को समझने के अलावा अगर वहां सरकार है तो उसके कामकाज की समीक्षा भी करते हैं।
वह देखने का प्रयास करते हैं कि 2019 के चुनाव के मद्देनजर कहां-कहां किस तरह के सुधार की जरूरत है। इसी क्रम में उनका राजधानी दौरा प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मिली एकतरफा जीत के माहौल को बरकरार रखने की कोशिश है।
मंत्रियों से भी करेंगे बात
शाह प्रदेश सरकार के मंत्रियों से भी बात करेंगे। कुछ मंत्रियों को लेकर कार्यकर्ताओं, विधायकों और सांसदों की तरफ से हुई शिकायतों पर भी संबंधित लोगों से बातचीत कर निर्देश देंगे।
मुख्यमंत्री से मुलाकात का भी उनका कार्यक्रम है। संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठक में वह जमीनी स्तर पर पार्टी के कामकाज की भी समीक्षा करेंगे।
अमित शाह के दौरे से बसपा में खलबली, माया बोलीं- मुकाबला करो, BJP के मुंह लगा खून
उत्तर प्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के आगमन के साथ शुरू हुआ राजनैतिक उथल-पुथल का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। सपा और बसपा के एमएलसी के इस्तीफे पर अखिलेश के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी आधिकारिक बयान जारी कर बीजेपी को कटघरे में खड़ा किया।
मायावती ने कहा कि बीजेपी की सत्ता की भूख अब हवस में तब्दील हो चुकी है, जिसे पूरा करने के लिए वह सरकारी मशीनरी का जमकर दुरुपयोग कर रही है। मणिपुर, गोवा, बिहार के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी लोकतंत्र की हत्या का खेल शुरू हो गया है।
आपको बता दें कि शनिवार सुबह आमित शाह तीन दिवसीय यात्रा के लिए लखनऊ पहुंचे हैं। उनके लखनऊ पहुंचने से पहले ही सपा के दो एमएलसी यशवंत सिंह और बुक्कल नवाब ने विधान परिषद से इस्तीफा दे दिया। इसके कुछ देर बाद ही बसपा के जयवीर सिंह ने भी विधान परिषद से अपना इस्तीफा सभापति को सौंप दिया।
विपक्ष इस पूरे घटनाक्रम को सोची समझी रणनीति के तौर पर देख रहा है। हाल ही में बिहार में हुए राजनैतिक उथल-पुथल को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि बेजीपी उत्तर प्रदेश में भी विपक्ष को कमजोर करके 2019 में उनके एकजुट होने की संभावना को समाप्त कर देना चाहती है।
गुजरात का जिक्र करते हुए मायावती ने कहा कि सरकार वहां सत्ता का ऐसा दुरुपयोग कर रही है कि विपक्षी विधायकों को अपना प्रदेश छोड़कर सुरक्षित ठिकानों की ओर पलायन करना पड़ रहा है। बसपा सुप्रीमो ने बीजेपी सरकार की इन नीतियों को लोकतंत्र के भविष्य के लिए खतरा बताया और नेताओं से घुटने टेकने के बजाए मुकाबला करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि उनके (बीजेपी) मुंह में अब खून लग चुका है। मुकाबला न करने से उनकी भूख और बढ़ती चली जाएगी।

पार्टी छोड़ते ही बुक्कल ने उगला जहर, बोले-समाजवादी ‘पार्टी’ नहीं ‘अखाड़ा’
समाजवादी पार्टी के पुराने दिग्गज नेता बुक्कल नवाब ने शनिवार को पार्टी छोड़ दी साथ ही विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। पार्टी छोड़ने के बाद उन्होंने कहा, मैं एक साल से सपा में घुटन महसूस कर रहा था। कहा कि 1 साल से हमें परेशान किया जा रहा है लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हमारा हाल तक नहीं पूछा। इसके अलावा हमारे काम के लोगो को जुमा अलविदा के दिन लाठी चार्ज करवाई। इन सब बातों से आहत होकर मैंने विधान परिषद सदस्य से इस्तीफा दे दिया है।
बुक्कल नवाब ने कहा, इसे समाजवादी पार्टी नहीं बल्कि समाजवादी अखाड़ा कहना चाहिए। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर बनाने की वकालत एक बार फिर से की। कहा कि राम मंदिर अयोध्या में नहीं तो क्या पाकिस्तान में बनेगा?
बुक्कल ने पार्टी छोड़ने के साथ भाजपा में शामिल होने का इशारा भी किया। उन्होंने प्रधानमंत्री ने सबका साथ सबका विश्वास का नारा दिया है। अगर कोई अच्छा काम कर रहा है तो उसके साथ जाने में क्या में कोई बुराई नहीं।
वहीं डिप्टी सीएम केशव मौर्य से जब बुक्कल के इस्तीफे के बारे में बात की गई तो उन्होंने खुशी जाहिर की। कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ सिंह से उनके इस्तीफे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये बात अखिलेश बेहतर बता सकते हैं।
अमित शाह के लखनऊ पहुंचते ही यूपी के सियासी महौल में घमासान शुरू हो गया। आज सुबह सपा के दो एमएलसी बुक्कल नवाब और यशवंत सिंह के बाद बसपा के जयवीर सिंह ने भी सभापति को अपना इस्तीफा सौंप दिया। सपा के मधुकर जेटली के इस्तीफे की भी अटकलें लगाई जा रही हैं।
ये भी संभावना व्यक्त की जा रही है आज दोपहर तक ये सभी एमएलसी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर सकते हैं। विधान परिषद के सभापति को इस्तीफा सौंपने के बाद बुक्कल नवाब ने प्रेस से बात करते हुए भाजपा से जुड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया है।
प्रधानमंत्री मोदी के सबका साथ सबका विकास नारे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अगर कोई अच्छा काम कर रहा है तो उसके साथ जाने में कोई बुराई नहीं है। बुक्कल नवाब ने सपा पर हमला करते हुए कहा कि पिछले एक साल से काफी घुटन महसूस कर रहा था। समाजवादी पार्टी सिर्फ समाजवादी अखाड़ा बन कर रह जाएगी। सूत्रों के मुताबिक मधुकर जेटली भी सभापति को इस्तीफा सौंप सकते हैं।
आपको बता दें कि बुक्कल नवाब का नाम गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में भी आया है। बुक्कल नवाब और यशवंत सिंह का कार्यकाल 6 जुलाई 2022 तक था। मधुकर जेटली का कार्यकाल 28 अप्रैल 2022 तक है। ये तीनों एमएलसी मुलायम सिंह के करीबी बताए जाते हैं और अखिलेश से खुश नहीं थे। बसपा के ठाकुर जयवीर सिंह बसपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं।





