Akhilesh Yadav says CAA NRC and NPR are same things
अखिलेश यादव बोले, नागरिकता कानून, एनआरसी और एनपीआर सब एक ही है
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर तथा राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर सब एक ही है। हर भारतीय इसके विरुद्ध है। इनके प्रति देशभर में जो आशंकाएं हैं, इससे लोगों में गहरा असंतोष पनप रहा है। इसके बावजूद भाजपा नेतृत्व सच नहीं बोल रहा है।
अखिलेश ने मंगलवार को जारी बयान में आरोप लगाया कि 19 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन में डेढ़ दर्जन से ज्यादा मौतें हुई। इनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं दी जा रही है। कार्रवाई के नाम पर उत्पीड़न किया जा रहा है।
दुकानों और घरों में तोड़फोड़ की जा रही है। निर्दोषों को सताया जा रहा है। रामपुर में उत्पीड़न चरम पर है। कार्रवाई के नाम पर रंग कर्मियों और संस्कृति कर्मियों को पकड़ा जा रहा है। पत्रकारों के साथ भी पुलिस का व्यवहार नितांत अवांछनीय और निंदनीय है।
लेखपालों को उनकी जाति देखकर सेवाओं से किया जा रहा बर्खास्त
सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार की कथनी और करनी में काफी अंतर है। लेखपाल अपनी मांगो को लेकर आंदोलनरत हैं। उनकी जाति देखकर उन्हें सेवाओं से बर्खास्त किया जा रहा है। एनकाउंटर व मुकदमे जाति देखकर हो रहे हैं।
भाजपा सरकार से न्याय की उम्मीद करना खुद को धोखा देना है: अखिलेश यादव
उन्नाव में एसपी कार्यालय में खुद को आग लगाने वाली दुष्कर्म पीड़िता की मौत और शव के अंतिम संस्कार के बाद मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उसके परिजनों को ढांढस बंधाने हसनगंज पहुंचे। अखिलेश ने पीड़ित परिवार को पांच लाख का चेक दिया।
सरकार पर हमलावर होते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार से न्याय की उम्मीद करना खुद को धोखा देना है। दुष्कर्म पीड़िता ने जिले के अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक सभी को शिकायती पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई पर किसी ने उसकी एक नहीं सुनी अगर सरकार उसकी फरियाद सुन लेती तो शायद वह जिंदा होती।
एक सवाल पर उन्होंने साक्षी महाराज पर निशाना साधते हुए कहा कि भगवा वस्त्र धारण करने से कोई महाराज नहीं बन जाता। यह महाराज नहीं ढोंगी है। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भी सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार बताए कई गांव ऐसे हैं जहां लोगों के पास उनके मकान के कागजात तक नहीं है।
क्या उन्हें नागरिकता से बहिष्कृत कर दिया जाएगा। सरकार के लोग कहते हैं कि विपक्षी इस कानून को नहीं जानता। मैं सरकार को बताना चाहता हूं कि वह हमें लागू कानून की परिभाषा न समझाए। विपक्ष उनके बनाए गए कानून को अच्छी तरह से जान और समझ चुका है। पीड़िता पर हुए पुलिसिया उत्पीड़न को लेकर भी उन्होंने दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की।
इस दौरान पीड़ित परिवार ने पूर्व में दिए गए शिकायती पत्रों का लंबा-चौड़ा चिट्ठा पूर्व सीएम अखिलेश को सौंपा। अखिलेश ने कहा कि बिहार में जिंदा जलाई गई दुष्कर्म पीड़िता के परिजनों को जिस तरह पांच लाख की मदद समाजवादी पार्टी की ओर से दी गई है ठीक उसी तरह इस परिवार को भी पांच लाख की मदद पार्टी की ओर से दी जा रही है। पीड़िता के साथ हुए अन्याय का मुद्दा सदन में उठाया जाएगा।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गांव पहुंचने की सूचना पर प्रशासन पूरी तरह अलर्ट रहा। 10 दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री बिहारकांड में मृतका के परिजनों से मिलने उनके गांव पहुंचे थे। वहीं, सोमवार को मृतका के परिजनों को ढांढस बंधाने के लिए पहुंचे क्षेत्रीय विधायक को परिजनों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। वह अधिक देर न रुककर वहां से चले गए।
16 दिसंबर को हसनगंज की दुष्कर्म पीड़िता ने एसपी कार्यालय में खुद को आग लगा ली थी। 21 दिसंबर को कानपुर के हैलट में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। रविवार 22 दिसंबर को शाम 6 बजे परिजनों की बिना मर्जी के पुलिस ने शव का अंतिम संस्कार करा दिया था। परिजन लगातार प्रशासन से सूर्यास्त के बाद शव न दबाने की दुहाई दे रहे थे।
घर से समाधि स्थल तक पुलिस का पहरा
बिहारकांड से सबक ले चुकी पुलिस ने हसनगंज कांड में मृतका के शव के अंतिम संस्कार के बाद से ही समाधि स्थल से घर तक पुलिस का पहरा बैठा दिया है। शव के अंतिम संस्कार के बाद से रात भर तीन कांस्टेबल समाधि स्थल पर पहरा देते रहे। वहीं, गांव में 4 कांस्टेबल पुरुष व चार महिला कांस्टेबल तैनात हैं। सोमवार सुबह एसडीएम और कोतवाल ने समाधि स्थल पर पहुंचकर वहां सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया।
मृतका की मां की बिगड़ी हालत
खुद को आग लगाने वाली दुष्कर्म पीड़िता की मौत और उसके शव दफनाए जाने के बाद रविवार देर रात मृतका की मां की हालत बिगड़ गई। परिवार के लोग उसे मोहान स्थित एक नर्सिंगहोम ले गए। सुबह स्वास्थ्य में सुधार होने पर परिजन उसे घर ले आए।





