7 years of Modi Government: Huge hike in prices of Diesel Petrol, Decrease in rupee
मोदी सरकार के सात साल: डीजल-पेट्रोल के दामों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी, रुपये में आई भारी गिरावट
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी के कारण महंगाई दर में बढ़ोतरी, नौकरियों के संकट के साथ महंगाई बढ़ने से टूटी आम आदमी की कमर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता संभाले हुए अब सात साल से अधिक समय हो गया है। आज ही के दिन 30 मई 2019 को उन्होंने दूसरी बार प्रचंड बहुमत वाली सरकार की कमान संभाली थी। पीएम नरेंद्र मोदी ने इशारों-इशारों में ही आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि सरकार ने इस दौरान कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं। जिन कठिन मामलों को हल करने में दशकों का समय लगता था, सरकार ने उन कामों को पूरा करने में सफलता हासिल की है तो वहीं इसी दौरान देश को कुछ कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा है।
प्रधानमंत्री के ये दावे अपनी जगह बिलकुल दुरुस्त हैं। लेकिन इसी के साथ एक सच यह भी है कि नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने से पहले चुनावी रैलियों में जिन बड़े वायदों को पूरा करने का दावा किया था, उनमें कई वायदों को पूरा करने में सरकार असफल रही है। महंगाई को कम करने का मुद्दा इन्हीं सबसे प्रमुख मुद्दों में से एक है।
पेट्रोल-डीजल की कीमतें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर कोई अंकुश नहीं लगा सके हैं। उनके पीएम बनने के पूर्व दिल्ली में पेट्रोल की कीमत (अप्रैल 2014 में) 72.26 रुपये प्रति लीटर थी। आज ही के दिन पिछले वर्ष यानी 30 मई 2020 को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 76.29 रुपये प्रति लीटर थी। इस एक साल में ही पेट्रोल की कीमत में भारी इजाफा हुआ है और प्रति लीटर 17.65 रुपये प्रति लीटर के इजाफे के साथ यह बढ़कर 93.94 रुपये प्रति लीटर हो चुकी है।
पेट्रोल की तरह डीजल की कीमतों में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल 2014 में डीजल 55.48 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा था। आज ही के दिन पिछले वर्ष (30 मई 2020) को दिल्ली में डीजल की कीमत 66.19 रुपये प्रति लीटर थी जो इस समय बढ़कर 84.89 रुपये प्रति लीटर हो गई है। यानी पिछले एक साल में ही डीजल की कीमतों में 18.70 रुपये की बढ़ोतरी हुई है।
पेट्रोल-डीजल की यह कीमतें तब हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में 2014 की तुलना में भारी गिरावट आई है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर अन्य चीजों पर भी हो रहा है। डीजल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के कारण मालभाड़े में बढ़ोतरी हुई है। इसके कारण आवश्यक चीजों के दाम तेजी से बढ़े हैं। दाल, सब्जी, अनाज, रेडीमेड खाद्य पदार्थों की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।
क्रूड ऑयल के दाम
23 फरवरी 2012 को क्रूड ऑयल का दाम 107.83 डॉलर प्रति बैरल था। सितंबर 2013 को क्रूड ऑयल 107 डॉलर के लगभग और 19 मई 2014 को 102.31 डॉलर प्रति बैरल और 27 मई 2014 को 102.72 डॉलर प्रति बैरल था। 30 मई 2019 को क्रूड ऑयल 56.59 डॉलर प्रति बैरल पर बिक रहा था। आज यह 66 डॉलर प्रति बरेल से कुछ अधिक पर चल रहा है। यानी 2013-14 की तुलना में इसमें भारी गिरावट आई है।
यानी मनमोहन सिंह सरकार 100 डॉलर प्रति बैरल से भी अधिक की खरीद कर पेट्रोल 70-72 रुपये प्रति लीटर के आसपास की कीमत पर उपलब्ध करा रही थी। आज क्रूड ऑयल की कीमत 66 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आ गई है, लेकिन इसके बाद भी पेट्रोल की कीमत 93-94 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई है। कई शहरों में पेट्रोल की कीमत सौ रुपये प्रति लीटर के मनोवैज्ञानिक स्तर को भी पार कर गई है।
डॉलर का भाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 मई 2014 को पहली बार देश की सत्ता संभालने के पूर्व अपनी चुनावी रैलियों में डॉलर के सामने रुपये के गिरते मूल्य को बड़ा मुद्दा बनाया था। उनका कहना था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की कीमतें कम होनी चाहिए और भारतीय रुपये का मूल्य बढ़ना चाहिए। लेकिन अगर प्रधानमंत्री के पिछले सात साल के शासन काल को देखें तो डॉलर के सामने भारतीय रुपये की कीमतों में रिकॉर्ड गिरावट आई है।
प्रधानमंत्री के सत्ता संभालने के अगले दिन यानी 27 मई 2014 को एक डॉलर की कीमत भारतीय रुपयों में 58.67 रुपये थी। इसके बाद रुपये की कीमतों में उतार-चढ़ाव के साथ 13 अक्तूबर 2018 को यह 73.67 रुपये और 17 अप्रैल 2020 को 77.15 रुपये हो गई। इस समय डॉलर की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक डॉलर की कीमत 72.42 रुपये हो चुकी है।
डॉलर की कीमत गिरने का एक अर्थ यह भी होता है कि क्रूड ऑयल की खरीद में भारत को अब प्रति डॉलर ज्यादा भारतीय रुपये का भुगतान करना पड़ रहा है। क्रूड ऑयल का लेनदेन डॉलर में ही होता है, लेकिन इस डॉलर को प्राप्त करने के लिए भारत सरकार को ज्यादा मूल्य चुकाना पड़ता है। इसके कारण भारतीय बाजार में महंगाई बढ़ती है। हालांकि, रुपये की कीमतों में गिरने का एक लाभ व्यापार में बढ़ोतरी के रूप में भी देखा जाता है।
गैस सिलिंडर की कीमतें
प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने गैस सिलिंडर की कीमतों में रिकॉर्ड कमी करने में सफलता पाई थी, लेकिन एक बार फिर इसमें बढ़ोतरी हो रही है। सरदार मनमोहन सिंह के कार्यकाल के अंत (फरवरी 2014) में 14.2 किलोग्राम वजन वाले सब्सिडी वाले एक सिलिंडर की कीमत 1134 रुपये तक पहुंच गई थी, लेकिन मई 2014 तक इसमें कमी आनी शुरू हो गई और मई 2014 में यह 928.50 रुपये पर आ गई थी। पिछले वर्ष एक मई 2019 को सब्सिडी वाला गैस सिलिंडर 712.50 रुपये में मिल रहा था, आज इसकी कीमत 819 रुपये प्रति सिलिंडर तक पहुंच गई है।





