ग्रेटर फरीदाबाद के सेक्टर-89 में पीयूष हाइट सोसाइटी से कूड़ा इकट्ठा कर खाद बना रहीं महिलाएं
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के औद्योगिक जिले फरीदाबाद के सेक्टर-89 में पीयूष हाइट सोसाइटी की महिलाओं ने घरेलू कूड़े से खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू की। ह्यूमन काइंड फाउंडेशन की महिलाओं ने इस सोसाइटी की महिलाओं को इसके प्रति जागरूक किया और गीले कूड़े से खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू की। अब इस सोसाइटी के हर घर से गीला व सूखा कचरा अलग-अलग किया जा रहा है। प्रतिदिन करीब 500 किलोग्राम जो गीला कूड़ा निकलता है उससे ही खाद बनाई जा रही है। इस प्रक्रिया को सोसाइटी के पार्क में गड्ढ़े तैयार करके शुरू किया गया है। इसमें गीले कूड़े और पार्कों की घास व पेड़-पौधों की पत्तियां का इस्तेमाल करके खाद बनाई जा सकती है।
गुरुवार को इसकी शुरूआत नगर निगम आयुक्त डॉ. यश गर्ग ने की। महिलाओं को प्रोत्साहित करते हुए नगर निगम के आयुक्त डॉ़ यश गर्ग ने कहा कि पीयूष हाइट सोसाइटी की महिलाओं का यह सराहनीय कार्य है। इसका अनुसरण करते हुए अन्य आरडब्ल्यूए को भी अपने सेक्टर और सोसाइटी में घरेलू कूड़े का उपयोग ऐसी खाद बनाने में करना चाहिए। उन्होंने महिलाओं को भरोसा दिया कि उनके इस अभियान में नगर निगम भी सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर में ही अपने कूड़े को गीला व सूखा कूड़ा अलग अलग एकत्रित करने के लिए नगर निगम जागरूकता अभियान चलता है। गीले कचरे को हरे रंग का कूड़ेदान में, सूखे कूड़े को नीले रंग के कूड़ेदान में अलग-अलग रखें। इस मौके पर आयुक्त के साथ नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त इंद्रजीत कुलड़ि़या और ह्यूमन काइंड फाउंडेशन की अध्यक्ष मोनिका शर्मा आदि मौजूद रहे।
650 परिवारों से 500 किलो गीला कूड़ा इकट्ठा हो रहा
पीयूष हाइट सोसायटी आरडब्ल्यूए के सदस्य बिजेंद्र, रूचिका व यामिनी आदि ने बताया कि इस सोसाइटी में करीब 1086 फ्लैट्स हैं और करीब 650 परिवार यहां रह रहे हैं। सभी परिवारों की महिलाओं ने मिलकर गीले कूड़े से सोसाइटी में खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। यह प्रक्रिया बहुत ही अच्छी, सस्ती और सरल है। इसमें कोई लागत नहीं है। बस कूड़ा इस होदियों तक पहुंचना है। गीले कूड़े को इसमें एकत्रित किया जाता है और फिर घास व वृक्षों की पत्तियों से ढक दिया जाता है। करीब 30 दिन बाद जब खाद बनकर तैयार हो जाती है। इस खाद का प्रयोग घर के पेड़ पौधों, सब्जियों में किया जा सकता है। आरडब्ल्यूए उनसे इस खाद को खरीद सकेगी।
नीले रंग के कूड़ेदान में ये रखें
साफ प्लास्टिक, प्लास्टिक कवर, बोतल, बॉक्स, वस्तु, चिप्स और चकलेट का कवर, रैपर, प्लास्टिक कप, दूध-दही का खाली पैकेट, पेपर, रैपर, मैगजीन, स्टेशनरी, रद्दी मेल, कार्ड बोर्ड, कार्टन या मोटे कागज का डिब्बा, पिज्जा बक्स, पेपर कप और प्लेट, टेट्रा पैक, धातु, मेटल, लोहे की पन्नी से बना डब्बा, मेटल का फैन, डिब्बा, रबड़, थमार्ेकल, पुराना पोछा, गद्दा, सौंदर्य प्रसाधन, लकड़ी, बाल, नारियल का छिलका आदि नीले डस्टबिन में रखे। सूखे कूड़े को रिसाइकिल करके वस्तुएं भी बनाई जा सकती हैं।
हरे कूड़ेदान में रखे ये बनेगी खाद
कूड़े स खाद बनाने के लिए हरे रंग के कूड़ेदान में सब्जी, फल के छिलके, पका खाना, बचा हुआ खाना, अंडे का छिलका, मुर्गा, मछली की हड्डियां, अंड़े, खराब फल, सब्जियां, टीबैग, कॉफी, पेड़ से झड़ी हुई पत्तियां एवं उसकी टहनियां, फूल और इससे बनी माला, घासफूस, कूड़े वाली घास आदि रखे। इस गीले कूड़े से खाद बनाई जा सकती है।





