
उत्तर प्रदेश में मौत बनकर टूटा मौसम का कहर, 100 की मौत, कल फिर तबाही की चेतावनी
उत्तर प्रदेश में बुधवार रात आंधी-तूफान, ओलावृष्टि व बिजली के कहर से 100 लोगों की जान चली गई। 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं। सर्वाधिक 50 मौतें आगरा में हुईं। यहां 51 लोग घायल हैं। प्रदेश में 134 पशुओं की भी मौत होने की खबर है।
बिजली के खंभे गिरने से लोगों को बिजली-पानी के संकट से भी जूझना पड़ा। दैवी आपदा से आम, गेहूं व सरसों की फसलों को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है। हालांकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार 73 मौतें हुई हैं। मौसम विभाग ने 5 मई को फिर आंधी-तूफान व बारिश की चेतावनी जारी की है। प्रदेश में कुल 22 जिले आंधी-तूफान से प्रभावित हुए हैं।
सूचना के मुताबिक आगरा में 50, कानपुर नगर, कानपुर देहात व मिर्जापुर में चार-चार, बिजनौर, जालौन व उन्नाव में तीन-तीन, सहारनपुर व हमीरपुर में दो-दो व चित्रकूट, बांदा, कन्नौज, इटावा, बरेली, पीलीभीत, संभल, अमरोहा, रामपुर, मथुरा, रायबरेली, सीतापुर, इलाहाबाद,भदोही व देवरिया में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है।
शनिवार को इन जिलों में आ सकती है आंधी
अंबेडकरनगर, बहराइच, गोंडा, बलरामपुर, सीतापुर, गोरखपुर, बलिया, मऊ, गाजीपुर, बस्ती, कुशीनगर, महराजगंज, संतकबीर नगर, सिद्धार्थनगर, खीरी, शाहजहांपुर, पीलीभीत, रामपुर, बरेली, बदायूं, अलीगढ़, महामायानगर, एटा, मथुरा, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, बागपत।
राहत कार्य में कोताही बर्दाश्त नहीं : योगी आदित्यनाथ
कर्नाटक चुनाव प्रचार में व्यस्तता के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में आपदा से प्रभावित परिवारों को राहत पहुंचाने के कार्यों का लगातार अपडेट लेते रहे।
उन्होंने अफसरों को निर्देश दिया कि वे व्यक्तिगत रूप से राहत कार्यों की निगरानी करें और प्रभावित लोगों को चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराएं। इस मामले में किसी भी प्रकार की शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सीएम ने प्रभारी मंत्रियों को आपदा प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने का निर्देश दिया है।
मुआवजा: प्रदेश सरकार ने बृहस्पतिवार शाम तक 73 मृतकों के परिजनों व 71 घायलों को सहायता राशि दी है। हर मृतक के परिवार को चार लाख रुपये, पशु हानि के लिए 30 हजार रुपये जारी किए गए। वहीं, फसल और मकानों को हुए नुकसान की रिपोर्ट राहत आयुक्त संजय कुमार ने शुक्रवार शाम तक तलब की है।
प्रभारी मंत्री प्रभावित जिलों का जायजा लेकर करें मदद
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओलावृष्टि, आंधी, तूफान व आकाशीय बिजली गिरने से प्रभावित जिलों के प्रभारी मंत्रियों को आपदा प्रभावित क्षेत्रों में जाकर हालात का जायजा लेने और पीड़ितों की हर संभव सहायता करने के निर्देश दिए हैं।
इधर मुख्यमंत्री के सख्त निर्देशों के कारण ही अपनों को खोने वाले 95 प्रतिशत परिवारों को 24 घंटे के भीतर राहत सहायता उपलब्ध करा दी गई। सर्वाधिक प्रभावित आगरा में जनहानि से पीड़ित 98 प्रतिशत परिवारों को सहायता दे दी गई है। घायल व्यक्तियों व पशु हानि से प्रभावित सभी परिवारों को भी सहायता दी चुकी है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने आपदा से प्रभावित परिवारों को मानक के अनुसार 24 घंटे के भीतर सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। इस क्रम में दैवी आपदा में जान गंवाने वाले 73 लोगों में से 70 परिवारों को, 91 घायलों में से 71 और 134 पशु हानि से प्रभावित परिवारों में से 123 को सहायता उपलब्ध करा दी गई है। बाकी प्र्रभावित परिवारों को बृहस्पतिवार देर रात या शुक्रवार तक सहायता राशि पहुंचा दी जाएगी।
इस तरह जनहानि के मामले में 95.89 प्रतिशत, घायल व्यक्तियों में 78.02 प्रतिशत को तथा पशु हानि से प्रभावित 96.27 प्रतिशत लोगों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई दी गई है।
उत्तर प्रदेश में आगरा में तूफान से 50 की मौत, 100 से अधिक घायल, 15 की हालत नाजुक
आगरा में बुधवार रात आए तूफान से जिले में भारी तबाही मची है। गुरुवार को देहात के इलाकों में हर तरफ भयावह मंजर दिखा। जिले में तूफान से मरने वालों की संख्या 50 हो गई है। इनमें से दो महिलाओं की मौत धौलपुर में हुई है। दोनों रिश्तेदार के यहां गई थीं।विभिन्न तहसीलों में 100 से ज्यादा लोग घायल हैं।
132 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आए तूफान से 500 से ज्यादा मकान धराशायी हो गए। बिजली के 5000 से ज्यादा खंभे गिरे हैं।मृतकों की संख्या और बढ़ने की आशंका है। घायलों में 15 की हालत नाजुक बताई गई है। मथुरा के गांव नगला खुटिया में दीवार गिरने से किसान रनवीर सिंह की मौत हो गई।
फरह में चार बच्चों समेत दस लोग घायल हो गए। जिले में 1000 से ज्यादा पेड़ गिर गए हैं। शासन ने मृतकों के आश्रितों को चार-चार लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है। खेरागढ़ तहसील में तो इतनी तबाही हुई है कि दर्द में डूबे लोग तूफान को प्रलय बता रहे हैं।प्रशासन ने जिले में मृतक संख्या 46 बताई है।
खेरागढ़ तहसील क्षेत्र में 24 लोग मरे हैं। फतेहाबाद में 12, बाह में चार, एत्मादपुर में 2, किरावली में तीन और सदर में एक की जान गई है। सदर के कबूलपुर में एक बच्चा तूफान के दौरान करंट लगने से मरा है। इसी तहसील के लालऊ गांव की महिला की मौत हो गई। दोनों प्रशासन की सूची में नहीं हैं।
तूफान की तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि 100 साल पुराने पीपल के पेड़ जड़ सहित उखड़ गए। ग्वालियर रोड पर बाइकों से लदे दो बड़े कंटेनर पलट गए। बिजली के खंभे और तार ही नहीं टूटे, खेरागढ़ में पूरा बिजली घर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। बुधवार रात तक मरने वालों की संख्या 24 बताई जा रही थी।
जो घायल सात दिन तक अस्पताल में भर्ती रहेगा उन्हें 4300 रुपये, और जो इससे अधिक भर्ती रहेगा, उन्हें 12700 रुपये मुआवजा दिया जाएगा। पशुहानि में गाय, भैंस का 30 हजार, दुधारू छोटे पशुओं का तीन हजार, गैर-दुधारू बड़े पशुओं का 25 हजार रुपये प्रति पशु मुआवजे की व्यवस्था की गई है।
कल फिर आंधी-तूफान के आसार
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले 48 घंटों में उत्तर प्रदेश व राजस्थान में फिर धूल भरी तेज आंधी चल सकती है। गरज के साथ बारिश हो सकती है। राजस्थान के ऊपर सक्रिय चक्रवाती दबाव के कारण 5 मई को तूफान और बारिश से फिर तबाही मच सकती है।
ताजमहल, आगरा किला, फतेहपुर सीकरी, जाजऊ की सराय समेत स्मारकों में तूफान से काफी नुकसान पहुंचा है। ताज में दक्षिण, पश्चिमी और उत्तर पूर्वी मीनारों के दरवाजे टेढ़े हो गए, वहीं मेहमानखाने पर पेड़ गिर पड़ा। रॉयल गेट प्लेटफार्म पर दिव्यांगों के लिए बनाई गई रैंप पर पेड़ गिरने से यह क्षतिग्रस्त हो गई।
मुख्य गुंबद पर लगी स्टील की रेलिंग पलट गई। फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजे पर लगी पिनेकल टूट गई, वहीं बादशाही गेट का छज्जा गिर गया। जनाना रोजा की दो बुर्जियों के छज्जे टूट गए। रंग महल स्मारक के ऊपरी हिस्से के पत्थर भी गिरे हैं। वहीं आगरा गेट से नक्कारखाने तक पुरातत्व विभाग की सुरक्षा दीवार ढह गई। सैंया के पास जाजऊ की सराय में छज्जा टूट गया।
इस वजह से से आया तूफान
11 अप्रैल को आए तूफान में मौसम के जो कारक बने, ठीक वही दो मई को दोहराया गया। एक नहीं, बल्कि सात राज्यों में इस तूफान का असर रहा। 132 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आए तूफान के कारण सबसे ज्यादा मौतें आगरा में हुईं।
महज 21 दिन के बाद मौसम के इस तेवर के पीछे पश्चिमी विक्षोभ और कम दबाव के क्षेत्र का वही मेल है। जो पहले भी कहर बरपा चुका है। 11 अप्रैल को भी तूफान ने ब्रज क्षेत्र में 28 लोगों की जान ले ली थी।
चक्रवाती हवाओं के कारण इस बार यह और ताकतवर हुआ और राजस्थान से सटे आगरा के ग्रामीण क्षेत्रों में बवंडर ला दिया। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर की पहाड़ियों पर पश्चिमी विक्षोभ के साथ ही उत्तरी राजस्थान, हरियाणा एवं पंजाब में चक्रवाती हवा का क्षेत्र बन गया।
आगरा देहात से मृतकों की सूची
खेरागढ़ तहसील क्षेत्र
1- पप्पू (40) पुत्र भीमसेन, गांव रूधरू।
2- सुमन (25) पुत्री कांशीराम, गांव रूधऊ।
3- सुनील (23) पुत्र रामभरोसी, गांव महुआखेड़ा।
4- गौतम (24) पुत्र भूपसिंह, गांव रिठौरी कटरा।
5- राजवती (55) पत्नी राजवीर, गांव डूंगरवाला।
6- अर्जित (6) पुत्र रामअवतार, गांव डूंगरवाला।
7- विवेक (9) पुत्र सुरेंद्र, गांव बुरहरा।
8- देव (5) पुत्र दुर्ग सिंह, गांव बुरहरा।
9- सुंदरलाल (62) पुत्र गेंदालाल, गांव बुरहरा।
10- अर्जुन (40) पुत्र भूप सिंह, गांव नगला उदैया।
11- जाह्नवी (5) पुत्री पोखन सिंह, गांव गोरऊ।
12- गनपति (48) पुत्र दुर्गाप्रसाद, गांव कौलारी, धौलपुर, राजस्थान।
13- रेवती (25) पुत्र दीवान सिंह, गांव कौलारी धौलपुर राजस्थान।
14- लोहरी देवी (53) पत्नी कुम्हेर सिंह, गांव कुसियापुर।
15- सर्वेश (10) पुत्र उदय सिंह, गांव नगला पूंछरी।
16- उदय सिंह (32) पुत्र राधेश्याम, गांव नगला पूंछरी।
17- हाकिम सिंह (75) पुत्र थानसिंह, गांव साले नगर।
18- अनंत उर्फ नंदी (1) पुत्र प्रेमपाल, गांव कुकावर।
19- अंकी (10) पुत्र राजवीर सिंह, गांव कुकावर।
20- भोला (8) पुत्र राजवीर सिंह, गांव कुकावर।
21- तनु (5) पुत्री राजवीर सिंह, कुकावर, सैंया।
22- ओमवती देवी (65) पति शिवराम सिंह, गांव नगला बिरजा, कागारौल।
23- राजकुमार उर्फ राजू (30) पुत्र कंचन सिंह, गांव बघा, कागारौल।
इनकी धौलपुर में मकान गिरने से हुई मौत
24- हसीना (42) पत्नी जहांगीर, निवासी बृथला।
25- आयशा (48) पत्नी ग्यासुद्दीन, निवासी बृथला।
फतेहाबाद तहसील क्षेत्र
1- चरनदेवी (40) पत्नी जगदीश, गांव गदौली खुर्द, शमसाबाद।
2- पूरन देवी उर्फ पुनिया (55) पत्नी चरन सिंह, गांव हिरनेर नबादा, शमसाबाद।
3- दारा सिंह (35) पुत्र चक्रपान सिंह, गांव सारंगपुर, फतेहाबाद
4- ओमदत्त (55) पुत्र शिवचरन, गांव जाजपुर, फतेहाबाद।
5- रामवती (55) पत्नी बाबूलाल, गांव बाराबले धिमश्री, शमसाबाद।
6- देवी सिंह (25) पुत्र ग्यासीराम, गांव गढ़ी बल्देव सिकतरा, शमसाबाद।
7- कामराज (65) पुत्र ग्यासीराम, गांव विलईपुरा चमरौली, फतेहाबाद।
8- नरेंद्र (12) पुत्र मुकेश कुमार, गांव शाहवेद, फतेहाबाद।
9- अंजना (6) पुत्री मुकेश कुमार, गांव शाहवेद, फतेहाबाद।
10- तेजसिंह (75) पुत्र रतना सिंह, गांव गढ़ी सर्वाई नगला पाटम, शमसाबाद।
11- पप्पू (43) पुत्र निनुआराम, गांव चितौरा, शमसाबाद।
12- भूरी सिंह (65) पुत्र फूलसिंह, गांव नयाबास, शमसाबाद।
बाह तहसील क्षेत्र
1- कुलदीप (47) पुत्र अमरजीत सिंह निवासी गांव रुदमुली।
2- अनार देवी (50) पत्नी बीरबल निवासी कौंध, पिढ़ौरा
3- खुशबू (5) पुत्री राकेश निवासी गांव करकौली।
4- रश्मी (2)पुत्र विनोद निवासी गांव मनौना।
किरावली तहसील क्षेत्र
1- मथुरी (65) पत्नी शंकरलाल निवासी गांव हंसेला, अछनेरा
2- रुकसाना (24) गांव लक्ष्मीपुर नौमील, मलपुरा।
3- नेकराम (55), डिठवार, फतेहपुर सीकरी।
एत्मादपुर तहसील क्षेत्र
1-राजबहादुर कश्यप (60), प्रकाशपुरम्, एत्माद्दौला
2-सुभाष कश्यप (56), प्रकाशपुरम्, एत्माद्दौला
सदर तहसील क्षेत्र
6 की मौत
मौत बनकर आया तूफान, सैकड़ों बेजुबानों की ली जान
आगरा में कुदरत ने ऐसा कहर बरपाया कि लोग सहम गए हैं। तूफान की मार से इंसानों के साथ-साथ बेजुबान परिंदे भी बच नहीं सके। सैकड़ों पक्षी असमय काल के गाल में समा गए। बुधवार देर शाम को तूफान ने कुछ ही पलों में तबाही मचा दी। तूफान के बाद लोगों की रात खुली आंखों से गुजरी। गुरुवार सुबह जब लोग घरों से निकले तो तबाही का मंजर देख उनके होश उड़ गए।
फतेहाबाद तहसील में तूफान से सैकड़ों परिदों की मौत हो गई। जहां तहां मृत परिंदे पड़े देख कर लोगों की रूह कांप गई। तोतों की मौत हुई। ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग की सूचना दी। इसके बाद मौके पर पहुंचे वन्यकर्मी मृत पक्षियों को लेकर गए।
ग्रामीणों ने बताया कि तूफान की रफ्तार इतनी तेज थी कि किसी को भी संभलने का मौका नहीं मिला। लोग अपने घरों में बंद हो गए थे। लेकिन ये नादान परिदें जाते तो कहां जाते हैं। सुबह लोग अपने घरों से निकले तो देखा राष्ट्रीय पक्षी मोर सहित सैकड़ों तोते मरे पड़े थे।
आंधी और बारिश के कारण कई मकान भी धराशायी हो गए। हजारों पेड़ उखड़ कर गिर पड़े। जिसके नीचे दबकर कई मवेशी भी मर गए।
132 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से आया तूफान तो चला गया लेकिन अपने पीछे तबाही के निशान छोड़ गया। जो कभी नहीं भरने वाले हैं।
कुदरत का कहरः पूरे ब्रज में तूफान ने मचाई तबाही, देखिए बर्बादी का मंजर
आगरा समेत पूरे बज्र में एक महीने के अंदर दूसरी बार तूफान आया है। पिछली बार आए तूफान की तबाही से अभी लोग उभर भी नहीं पाए थे कि दोबारा कुदरती कहर की चपेट में आ गए।
कुदरत का कहरः आगरा में घर के घर उजड़ गए, ऐसी तबाही पहले कभी नहीं आई
70 साल की उम्र में कभी ऐसा तूफान, बवंडर नहीं देखा। बरसों पुराना बरगद का पेड़ जड़ समेत उखड़ गया। तमाम घर और दीवारें चंद क्षणों में धराशाई हो गईं। हवा की रफ्तार ऐसी कि खड़े रहना मुश्किल हो गया और मैं छिटक कर दूर जा गिरा। गांव में बिजली का कोई खंभा नहीं बचा, टिन और छप्पर वाले भी बेघर हो गए।
गांव बघा सोनगा के गोपाल सिंह तूफान की भयावहता का मंजर बताते हुए कांप उठे। पोस्टमार्टम गृह पर वह अन्य ग्रामीणों के साथ बैठे थे। बोले, उन्होंने वर्ष 1972 की बाढ़ का मंजर भी देखा था, लेकिन तबाही कुछ देर के तूफान ने ज्यादा मचाई है। गांव के राजू के पशुओं के बाड़े की चारों दीवारें ढह गईं।
फतेहपुर सीकरी से आए पूर्व ब्लाक प्रमुख भूप सिंह पिप्पल ने बताया कि डिठवार में तूफान ने भारी तबाही मचाई। खेतों में ट्यूबवेल की कोठरी हो या फिर झोपड़ी और टिनशेड, कुछ नहीं बचा। उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी ऐसा तूफान नहीं देखा बिजली के पोल, तार, पेड़ों के साथ ही बड़ी संख्या में पक्षियों की मौतें भी हुई हैं।
डिठवार के पूर्व जिला पंचायत सदस्य पप्पू ने बताया कि तूफान के दौरान वह चौपाल के पास खड़े थे। जान बचाकर भागे मगर पैर उखड़ गए। किसी तरह गिरते पड़ते घर में घुसकर जान बचाई। केवल तूफान होता तो गनीमत रहती, ओले और बारिश ने मुसीबतें और बढ़ा दीं।
बघा सोनगा के प्रधान सत्यपाल सिंह ने बताया कि घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए वह रास्ते भर बाइक पर गाड़ी के आगे चले। और भी लोग साथ रहे। रास्ते में गिरे पड़े पेड़ और बिजली के तार हटाते रहे। उन्होंने इस तरह का बवंडर अभी तक नहीं देखा था। कच्चे मकान और टिनशेड ही नहीं पक्के मकानों की छतें तक उड़ गईं।
कुदरत का कहरः मां बोली, मैं बेटी की आखिरी झलक तो देख लूं…
आगरा में तूफान की तबाही ने एक मां से उसकी चार साल की बेटी छीन ली। मां भी घायल हुई। पोस्टमार्टम हाउस पर लाश लाई गई तो मां भी पीछे पीछे पहुंच गई। एक हाथ की हड्डी टूटी थी, लेकिन मां बेटी की आखिरी झलक देखने के लिए अपना दर्द ही भूल गई।
परिजनों के लाख समझाने पर भी वो इलाज कराने को तैयार नहीं हुई। चंद कदम की दूरी पर अस्पताल में भर्ती होने से भी इनकार कर दिया। मां को बस यही गम था कि वो बेटी को छोड़कर कुछ देर के लिए क्यों चली गई? अगर, पास होती तो बेटी को खरोंच तक नहीं आने देती।
खेरागढ़ के गांव गोरऊ निवासी पोखन सिंह की चार साल की बेटी जाह्नवी की तूफान में दीवार गिरने से मौत हो गई। पोखन की पत्नी सूरजमुखी ने बताया कि बुधवार रात को आए तूफान ने संभलने का मौका तक नहीं दिया। सूरजमुखी के अलावा घर में पति पोखन, बेटियां रोशनी और जाह्नवी थीं।
जिस समय बारिश और तूफान आया, सभी टिनशेड के नीचे बैठे हुए थे। तूफान आने पर सूरजमुखी चूल्हे से दूध उठाने चली गई। तभी तूफान से टिनशेड उड़ गया।
परिजन कुछ समझ पाते उससे पहले ही सीमेंट की दीवार भर-भराकर गिर गई। मलबे के नीचे दो बच्चियां सहित दंपति दब गए।एक घंटे बाद गांव के लोग आए।
इसके बाद मलबे में दबे चारों लोगों को बाहर निकाल लिया गया।चार साल की जाह्नवी मौत के मुंह में समा गई। सूरजमुखी के एक हाथ में फ्रेक्चर हो गया। मां ने बेटी जाह्नवी की लाश देखी तो उनकी चीख निकल गई।
सूरजमुखी के पति और बड़ी बेटी को अस्पताल में भर्ती कराया गया। जाह्नवी के शव को पोस्टमार्टम हाउस में रखवा दिया। सूरजमुखी ने अस्पताल में भर्ती होने से इंकार कर दिया। वो बेटी की अंतिम झलक देखने के लिए पोस्टमार्टम हाउस पर अकेली बैठी रही। वो इलाज तक कराने नहीं गई।
एक बार परिजन उसे जबरदस्ती ले गए। मगर, वो वापस आ गई। उसका कहना था कि वो कहीं नहीं जाएगी। लाडली बिटिया का आखिरी बार चेहरा उसे देखना है। परिजनों ने बताया कि पोखन सिंह के घर में काफी नुकसान हुआ है। परिवार टिन शेड के नीचे रहता है। हादसे ने सबकुछ उजाड़ दिया है।
कुदरत का कहरः अचानक आए तूफान से चारपाई सहित सौ फीट दूर गिरा चौकीदार, हुई मौत
अागरा में 132 किमी. की रफ्तार से आए तूफान की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ठाकुर तेज सिंह इंटर कालेज का चौकीदार सुभाष (45) सौ फीट दूर जा गिरा।
वह चारपाई पर बैठा हुआ था। चारपाई भी उसके साथ दीवार से टकरा गई। इससे चौकीदार की मौत हो गई। गुरुवार सुबह कालेज में परिजनों के पहुंचने पर घटना की जानकारी हो सकी।
ककरारी, मलपुरा निवासी सुभाष पुत्र मंगल सिंह ठाकुर तेज सिंह इंटर कालेज में छह साल से चौकीदारी करता था। बुधवार रात को भी ड्यूटी पर आया था। परिजनों ने बताया कि वह सुबह छह बजे तक घर आ जाते थे।
गुरुवार को घर नहीं आने पर परिजन कालेज पहुंच गए। वहां पर सुभाष का शव दीवार के पास पड़ा हुआ था। वहीं पर चारपाई भी पड़ी थी।
परिजनों को आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि तूफान के दौरान सुभाष कालेज में गैलरी में बैठा हुआ था। तूफान की वजह से हवा में चारपाई सहित सुभाष 100 फीट दूर तक उछल कर चला गया।
वह दीवार से टकरा गया, जिससे सिर में चोट लगने से उसकी मौत हो गई। उसने खाना भी नहीं खाया था। टिफिन पड़ा हुआ मिल गया।
परिजनों ने बताया कि सुभाष के तीन बेटे रिंकू, राहुल और रोहित हैं। वह मजदूरी करते हैं। बेटी रश्मि की शादी हो चुकी है। वहीं पत्नी गुड्डी देवी है। उनका रो-रोकर बुरा हाल था।
तूफान से तबाही: पेड़-खंभों की बिसात ही क्या जब बड़े कंटेनर तक पलट गए
आगरा में तबाही के तूफान की रफ्तार के आगे कुछ नहीं टिक पाया। पेड़ और खंभों की तो बात ही क्या करनी जब बाइक और कार से लदे विशालकाय कंटेनर पलट गए। जिसमें कार चालक पिता-पुत्र बाल बाल बच गए।
ग्वालियर रोड पर दस मिनट के भीतर दो कंटेनर पलटे। नगला धनी में पीपल का सौ साल पुराना भारी-भरकम पेड़ जड़ से उखड़ गया। भयानक तबाही के ऐसे भयावह मंजर हैं कि आंखों को यकीन करना मुश्किल हो रहा है।
हो भी तो कैसे जिंदगी ने पहली बार कुदरत का ऐसा कहर देखा है। सेवला में दो पेड़ एक साथ गिरे। एक ऑटो पर गिरा, दूसरा खोखे पर। दोनों का कबाड़ा कर दिया।
इसे थोड़ा आगे ग्वालियर रोड पर ओवरब्रिज से थोड़ा पहले लोहे की रेलिंग उखड़ गई जबकि यह जालीदार थी, मतलब हवा आरपार हो रही थी। मधुनगर चौराहा पर 11 हजार वोल्ट की हाईटेंशन लाइन पोल सहित जमीन पर बिछ गई है।
आगरा-ग्वालियर हाईवे पर तूफान से दो कंटेनर पलट गए। एक कंटेनर तो कार पर पलट गया। गनीमत रही कि कार सवार पिता-पुत्र की जान बच गई।
जौनई गांव के फौजी बलदेव सिंह अपने बेटे सुदेश के साथ स्विफ्ट कार से अपने गांव से आगरा कैंट स्टेशन जा रहे थे। कुर्राचित्तरपुर के सामने होकर गुजर रहे थे। तभी तूफान आ गया।
‘हौसला न दिखाते, तो हम बच नहीं पाते’
उनकी कार के बराबर में कंटेनर चल रहा था। उसकी रफ्तार भी कम थी लेकिन तभी उसने अचानक ब्रेक लगा दिए। कंटेनर रुक गया। वो अचानक कार के ऊपर पलट गया। जिससे कार पिचक गई। शीशे दबाव से टूट गए।
बलदेव सिंह ने बताया कि एक बार तो लगा कि हम बच नहीं पाएंगे। मौत हमारी आंखों के सामने थी लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी और इसीलिए हमारी जान बच गई। खिड़की के शीशे टूट जाने से जगह बन गई थी। हम दोनों उसी से बाहर आ गए।





