सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट में घोटाला, मेडिकल कालेज के नाम पर खरीदकर उच्चे दामों पर बिजली विभाग को दी थी जमीन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट 220 केवीए बिजली घर निर्माण के लिए खरीदी गई भूमि के मामले में परत दर परत घोटाले की श्रंखला खुलनी शुरू हो गई है। खरीदी गई जमीन के दस्तावेजों के आधार पर पर्दाफाश हुआ है कि उक्त जमीन को तीन वर्ष पूर्व स्थानीय किसानों से मेडिकल कॉलेज के निर्माण के नाम पर खरीदा गया था।
वर्ष 2017 में उक्त जमीन को आबादी में दर्ज कराने के बाद राजस्व विभाग से मिलीभगत कर फिर से उक्त जमीन को कृषि योग्य भूमि दर्शा कर बिजली विभाग को ऊंचे दामों में बेचा गया। जबकि नियम के मुताबिक उक्त भूमि को जिस मद के लिए आबादी में दर्ज करा गया है, उसे संबंधित विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के बाद जमीन का बैनामा कराया जा सकता है। लेकिन संबंधित ट्रस्ट के चेयरमैन द्वारा करीब 25 बीघा जमीन को कृषि योग्य भूमि दर्शा कर बिजली विभाग को बेचने के दौरान नियम कायदे कानून ताक पर रख दिए गए।
राजस्व विभाग के आंकड़ों के मुताबिक खसरा नंबर 260, को वर्ष 2016- 17 में एक कॉलेज के चेयरमैन द्वारा शाहपुर, गांव के किसानों से आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज बनाने के नाम पर खरीदा था। उक्त खसरा संख्या को इसी वर्ष आबादी में भी दर्ज कराया गया था।
नियम के मुताबिक किसी भी भूमि को अगर आबादी में दर्ज कराना होता है तो उस पर निर्माण कार्य शुरु दिखाया जाता है। लेकिन कुछ माह बाद ही संबंधित कॉलेज के चेयरमैन द्वारा क्षेत्र के अपने नजदीकी लोगों से दर्ज आबादी पर आपत्ति डलवा दी ,ताकि वह आसानी से बिजली विभाग को अपनी जमीन बेच सकें। लेकिन आबादी का आदेश निरस्त ना होने पर, संबंधित कॉलेज के चेयरमैन द्वारा आबादी भूमि को कृषि भूमि दिखाकर बेच दिया। जिसके चलते बिजली विभाग को भारी नुकसान उठाना पड़ा।





