
नहीं रहे दर्शन सिंह यादव, खुलकर निभाई मुलायम से ‘दोस्ती और दुश्मनी’, पढ़िए कुछ यादगार किस्से
इटावा जिले के सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सदस्य बाबू दर्शन सिंह यादव का बुधवार देर रात ढाई बजे हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया। आमजन में बाबूजी संबोधन से लोकप्रिय दर्शन सिंह का अंतिम संस्कार गुरुवार को सैफई ब्लाक के बहादुरपुर पोस्ट के हैवरा गांव में किया गया। इस दौरान उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल, जसवंतनगर विधायक शिवपाल सहित कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। बीपी और शुगर से पीड़ित बाबू जी दो दिन पहले ही मथुरा से इलाज कराकर लौटे थे। उनके निधन की खबर से इटावा-मैनपुरी समेत कई जनपदों में शोक की लहर दौड़ गई। बाबूजी की अंतिम यात्रा में इटावा-मैनपुरी के अलावा आसपास के जिलों से कई लोग शामिल हुए। हैवरा गांव में बड़े बेटे आईएएस अफसर नागेंद्र प्रताप सिंह ने मुखाग्नि दी। नागेंद्र प्रताप सिंह मथुरा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष हैं। उनके तीन बेटे और बहू समेत भरा पूरा परिवार है।
शिवपाल ने रामगोपाल के पैर छुए मगर खामोश रहे
पूर्व राज्यसभा सदस्य एवं सपा के वरिष्ठ नेता बाबू दर्शन सिंह की अंत्येष्टि में पहुंचे शिवपाल सिंह यादव की सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव से मुलाकात हुई। इस मुलाकात में शिवपाल ने रामगोपाल के पैर छुए लेकिन, उसके बाद रामगोपाल दूसरी ओर जाकर खड़े हो गए। दोनों ही नेताओं के बीच कोई बात नहीं हुई। शिवपाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बाबूजी के बारे में जितना कहा जाए उतना कम है। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सुधार में अर्पण कर दिया था। वे समाजसेवी के साथ बड़े व्यवसायी भी थे। बाबूजी ने चौधरी चरण सिंह पीजी कॉलेज की नींव रखी थी। वे कालेज के संस्थापक भी रहे। वहीं, रामगोपाल ने बाबूजी के समाज को दिशा देने वाले प्रयासों की सराहना की।
मुलायम सिंह के संघर्ष के साथी थे बाबू दर्शन सिंह
पांच भाइयों में दूसरे नंबर पर वरिष्ठ नेता और समाजसेवी बाबू दर्शन सिंह सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से उम्र में एक साल छोटे थे। उनका जन्म 31 जुलाई 1944 को सैफई ब्लॉक के बहादुरपुर पोस्ट हैवरा में संपन्न परिवार में हुआ था। बाबू दर्शन सिंह की छवि इटावा के एक व्यवसायी के रूप में थी। उनके इटावा-मैनपुरी में कई ईंट के भट्ठे और राइस मिलें हैं। मुलायम सिंह के संघर्ष के दिनों में बतौर मित्र बाबू दर्शन सिंह हमेशा साथ रहे।
मृत्यु उपरांत भोज के खिलाफ बड़ा आंदोलन चलाया
बाबू दर्शन सिंह को नेता के साथ-साथ समाजसेवी के रूप में जाना जाता है। बाबू दर्शन सिंह ने केंद्रीय समाज सेवा समिति का गठन किया। उसके माध्यम से उन्होंने इटावा-मैनपुरी, कन्नौज समेत कई जनपदों में दहेज , मृत्यु उपरांत भोज और नशा का खुलकर विरोध किया। उन्होंने तेरहवीं के जगह पर शांति पाठ कराने का प्रयास किया। काफी संघर्ष के बाद उनकी पहल रंग लाई और इटावा समेत कई जनपदों में लोगों ने मृत्यु उपरांत भोज के स्थान पर शांति पाठ कराना शुरू किया। वे खुद भी शांति पाठ कराने जाते थे।
जिला परिषद के चुनाव में मुलायम से हुआ था मतभेद
बाबूजी का जिला परिषद के चुनाव में मुलायम सिंह से मतभेद हो गया था। वे जिला परिषद के अध्यक्ष बनना चाहते थे। लेकिन, मुलायम सिंह यादव ने प्रोफेसर रामगोपाल को जिला परिषद का अध्यक्ष बनवा दिया था। इसको लेकर बाबूजी का मुलायम सिंह से 20 साल तक मतभेद रहा।
पहले बेमिसाल दोस्ती और फिर कांटे की टक्कर को लेकर मुलायम सिंह यादव और दर्शन सिंह के रिश्ते अक्सर चर्चा में रहते थे। मुलायम सिंह से अनबन के बाद 1989 कांग्रेस में शामिल हुए बाबू दर्शन सिंह ने जसवंतनगर विधानसभा सीट से 1989, 1991,1993 और 1996 में कांग्रेस के टिकट पर मुलायम सिंह और शिवपाल के खिलाफ चुनाव लड़ा। 1996 का चुनाव ही शिवपाल ने लड़ा था, बाकी के चुनाव में दर्शन सिंह का सामना मुलायम सिंह से होता रहा। 1993 के चुनाव में दर्शन सिंह ने मुलायम सिंह को कांटे की टक्कर दी। महज 1161 वोटों से मुलायम सिंह को जीत मिल सकी थी।
कांग्रेसी नेता सूरज सिंह यादव ने बताया कि इस दौरान मुलायम सिंह और दर्शन सिंह के समर्थकों के बीच ताबड़तोड़ गोलियां चलीं। कई बार तो अपने-अपने काफिले में मुलायम सिंह और दर्शन सिंह का आमना-सामना होने पर भी समर्थकों में फायरिंग की नौबत आई थी। एक बार की घटना में दर्शन सिंह की गिरफ्तारी हो जाने पर कांग्रेसियों ने प्रदेश में धरना-प्रदर्शन किया था। दर्शन सिंह कांग्रेस पार्टी में प्रदेश महासचिव भी रहे थे। उसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने मैनपुरी से लोकसभा चुनाव सपा के बलराम सिंह के खिलाफ लड़ा और पराजय का समाना करना पड़ा। 1998 में भाजपा सरकार ने दर्शन सिंह को नलकूप ट्यूबवेल कार्पोरेशन का चेयरमैन बनाकर लाल बत्ती दी थी। 20 साल की दुश्मनी के बाद दोबारा से दर्शन सिंह की मुलायम सिंह से दोस्ती हुई। अखिलेश सरकार में दर्शन सिंह को राज्यसभा का सदस्य बनाया गया। उनका कार्यकाल 2018 को पूरा हुआ था।
पूर्व सांसद को श्रद्धांजलि देने पहुंचे अखिलेश, शिवपाल का नाम आते ही काटी कन्नी, इतना कहकर चले गए
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव शुक्रवार को बहादुरपुर, हैवरा में राज्यसभा के पूर्व सांसद दर्शन सिंह यादव (बाबूजी) के घर पहुंचे। बाबूजी को श्रद्धांजलि दी और उनके परिजनों को ढांढस बंधाते हुए जीवन के हर मोड़ पर खडे़ रहने का आश्वासन दिया। चाचा शिवपाल के एलान के जवाब में मीडिया ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से सवाल किया तो उन्होंने कन्नी काट ली।
सपा मुखिया ने बाबूजी के निधन को अपूर्णनीय क्षति बताया। कहा कि बाबूजी ने समाज की कुरीतियों को मिटाने के लिए जो सराहनीय कार्य किए हैं उनके लिए लोग हमेशा उन्हें याद करते रहेंगे। बाबू दर्शन सिंह ने पर्यावरण के लिए भी बहुत काम किया थे। उस वक्त लोग पर्यावरण के नाम से पीछे हटते थे तब बाबू दर्शन सिंह ने आगे आकर पेड़ पौधे नष्ट करने वालों के खिलाफ आवाज उठाई। गांव-गांव पौधारोपण किया।
सपा मुखिया ने कहा कि बाबू जी ने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव देखे। इस दौरान सांसद मैनपुरी तेज प्रताप सिंह यादव, विधायक करहल सोवरन सिंह यादव, जिलाध्यक्ष इटावा गोपाल यादव, पूर्व नगर अध्यक्ष लोहिया वाहिनी राम कुमार यादव, केसी यादव, कुमदेश यादव, मुकुल यादव, नितुल यादव, आनंद दिवाकर, सुरेन्द्र यादव, अनवर सिंह आदि मौजूद रहे।
बागपत में समाजवादी सेकुलर मोर्चा के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने प्रदेश में लोकसभा की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने का एलान किया है। चाचा शिवपाल के एलान के जवाब में मीडिया ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से सवाल किया तो उन्होंने कन्नी काट ली। सपा मुखिया ने कहा कि ऐसे मौके पर कुछ नहीं बोलूंगा। दोबारा से इटावा आऊंगा और आपके सवालों के जवाब दूंगा। इतना कहने के बाद अखिलेश चले गए।





