फीस वसूली पर हरियाणा के निजी स्कूलों को नहीं मिली हाईकोर्ट से कोई राहत, सितंबर में फिर होगी सुनवाई
कोरोना लॉकडाउन के दौरान स्कूली बच्चों से फीस और अन्य फंड वसूली की मांग को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में गए सर्व विद्यालय एवं निजी स्कूलों को कोई राहत नहीं मिली।
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान बंद पड़े प्रदेश के निजी स्कूल पंजाब की तर्ज पर स्कूली बच्चों से 70 फीसदी फीस और फंड जमा कराने की मांग करते हुए सरकार के ट्यूशन फीस के आदेश पर स्थगनादेश चाहते थे, लेकिन अदालत ने कोई राहत नहीं देते हुए इस मामले की सुनवाई सात सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह और अन्य अभिभावक संगठनों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में भी अभिभावकों का पक्ष रखा। संगठन के वकील अभिनव अग्रवाल ने बताया कि हाईकोर्ट में निजी स्कूल हरियाणा सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने पर भी फीस और अन्य फंड लेने की अनुमति के लिए पहुंचे थे।
निजी स्कूलों का तर्क था कि उनके पास स्टाफ की सैलरी और संचालन के लिए कोई फंड नहीं है, इसलिए सरकार द्वारा इस अवधि के दौरान केवल ट्यूशन फीस लेने पर स्थगनादेश दिया जाए। परमार ने बताया कि निजी स्कूलों के पास रिजर्व फंड हैं और फिलहाल अधिकांश निजी स्कूल करोड़ों रुपयों का सालाना लाभ भी अर्जित कर रहे हैं। इस अवधि के दौरान बच्चों पर फीस और अन्य फंडों का बोझ नहीं लादा जा सकता, जबकि स्कूलों का संचालन इन मदों में रिजर्व राशि से किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि निजी स्कूल पंजाब में फीस पर हुए स्टे का हवाला दे रहे हैं, जबकि हरियाणा में एजुकेशन एक्ट और नोटिफिकेशन भी अलग हैं। इसी लिहाज से निजी स्कूलों को हरियाणा शिक्षा नियमावली का पालन भी जरूरी है, लेकिन सभी निजी स्कूल शिक्षा निदेशालय में एजुकेशन एक्ट 1995 के सेक्शन 17(5) के तहत ऑडिट बैलेंस शीट तक जमा नहीं करा रहे हैं। निजी स्कूलों ने अभिभावक और संगठनों के इस मामले में सुनवाई की औपचारिकता पर ही सवाल उठाए थे जिस पर कोर्ट ने यह भी माना है कि इस मामले में सुनवाई की जल्दी नहीं है, इसमें अभिभावकों का पक्ष जानना भी आवश्यक है।





