Pandit Vikas Dubey: विकास दुबे तक अभी भी सूचना पहुंचा रहे पुलिस और सरकार में मौजूद शुभचितक
यूपी पुलिस और सरकार में मौजूद विकास दुबे के शुभचितक अभी भी उस तक सूचनाएं पहुंचा रहे हैं। पुलिस छापेमारी से महज आधा घंटा पहले ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-87 न्यू इंद्रा कांप्लेक्स में मकान नंबर-38 निवासी मिश्रा परिवार के घर से उसका निकल जाना तो इसी तरफ इशारा कर रहा है। फरीदाबाद पुलिस की टीम भी हैरान है कि कैसे विकास दुबे को छापेमारी की सूचना मिल गई और उन्हें हाथ मलना पड़ा।
फरीदाबाद पुलिस पूरी तरह आश्वस्त है कि विकास दुबे की तलाश में छापेमारी की सूचना जिले से बाहर किसी को नहीं थी। ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं यहां भी तो पुलिस में उसके शुभचितक नहीं। ऐसा भी हो सकता है कि यहां से किसी ने यूपी पुलिस में उसके शुभचितकों को सूचना दी। वहां से उसे आगाह कर दिया गया। सवाल यह भी है कि शुभचितकों ने सूचना पहुंचाने के लिए आखिर किस माध्यम का प्रयोग किया।
पुलिस आयुक्त की तरफ से इस पूरे मामले की जांच के लिए एसीपी क्राइम अनिल कुमार के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई है। यह टीम जांच करेगी कि आखिर विकास तक सूचना पहुंची कैसे। अगर यहां किसी पुलिसकर्मी की मिलीभगत मिली तो सख्त कार्रवाई होगी। कहीं यहां सरेंडर करने की फिराक में तो नहीं था विकास दुबे
विकास दुबे के फरीदाबाद में सरेंडर करने के मकसद से पहुंचने की चर्चा भी दिनभर रही। चर्चा है कि विकास दुबे ने यहां अपने रिश्तेदार अंकुर के माध्यम से सरेंडर की सेटिग की थी। एक सीआइए से उसकी बात भी हो गई थी। मगर क्राइम ब्रांच की तरफ से जब अधिकारियों से इस संबंध में बात की गई तो वहां से साफ इंकार कर दिया गया। इसके बाद पुलिस टीम ने छापेमारी की तैयारी की गई। अनुमान है कि जिस सीआइए से बात चल रही थी, उसकी तरफ से ही अंकुर को इशारा मिल गया कि सरेंडर की बात नहीं बन रही। इसलिए अंकुर ने उसे छापेमारी से ठीक पहले खिसका दिया। चर्चा के मुताबिक विकास दुबे पहले यहां असलाह लेकर नहीं आया था। मगर जिस सीआइए से बात चल रही थी, उसने यूपी पुलिस द्वारा लूटा गया असलाह लाने की मांग की। इसके बाद असलाह मंगाया गया। इस चर्चा के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि कोई भी बदमाश केवल फरार होने के लिए इस तरह असलाह लेकर नहीं चलेगा। अपनी सुरक्षा के लिए एक पिस्टल रख सकता है। हालांकि डीसीपी क्राइम मकसूद अहमद ने इस तरह की किसी भी बात से इंकार किया है।





