बाजार में मांग न होने से मुरझा रहा ग्लेडियोलस
कभी शादी समारोह सहित विभिन्न आयोजनों की शोभा रहे ग्लेडियोलस ने इस बार किसानों को धोखा दे दिया। कोरोना की वजह से महानगरों में मांग नहीं हो रही है। किसानों को खेत में खर्च की गई लागत भी जेब से जाती दिख रही है। ऐसे में इस फूल की खेती करने वाले सभी चितित हैं।
विकास खंड छिबरामऊ के अंतर्गत करीब 250 से 300 बीघा जमीन में ग्लेडियोलस की खेती की जाती है। इसकी आपूर्ति प्रमुखता दिल्ली भेजी जाती हैं। वहां से किसानों को अन्य फसलों की अपेक्षा अच्छी आमदनी होती है। वही कोरोना की वजह से इस बार बेहद कम आयोजन हो रहे हैं। शादियों की तिथियां भी अब नहीं है। ऐसे में देश की राजधानी सहित अन्य महानगरों में अब इसकी मांग न के बराबर हैं। 150-160 रुपये में बिकने वाला पैकेट इस समय मात्र 25-30 रुपये में बिक रहा है। बिक्री न होने के बाद भी किसान इस फसल में खाद व पानी पर धन खर्च कर रहा है। ऐसा न होने पर उसे बीज के बर्बाद हो जाने का डर सता रहा है। कीमती बीज होने की वजह से वह इसको बचाने के सारे जतन भी कर रहा है।
ये हैं छिबरामऊ के प्रमुख गांव
माधौनगर, नगला भजा, बैरागपुर, नगला दुर्गा, प्रेमपुर, मिघौला, मटेहना, सरायगोपाल आदि।
एक बीघा में आती 25 हजार की लागत:
किसान ग्लेडियोलस की खेती को करने के लिए फूल के बीज के अलावा दवा, खाद व सिचाई पर भी रुपये खर्च करता है। ऐसे में एक बीघा पर करीब 25 हजार रुपये की लागत आती है। फिलवक्त तो 10 हजार रुपये भी बिक्री के नहीं मिल रहे हैं।
किसान बोले गर्मियों के समय कोरोना की वजह से लाकडाउन चल रहा था। ऐसे में लाकडाउन खुलने पर फसल की अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। दिल्ली तक फसल को भेजने का किराया भी मिलना मुश्किल हो रहा है। – राजेश कुमार
आलू की अपेक्षा इस फसल में अच्छा फायदा होता था। कोरोना की मार से फूल की खेती बेकार हो गई। फसल का बीज बचाने के लिए उन्हें लागत लगानी पड़ रही है। कीमत सही ना मिलने पर फसल काटकर चारे के रूप में मवेशियों को खिलाई जाएगी। -प्रेमचंद्र सिंह
व्यापारी बोले
दिल्ली में अभी भी कोरोना की मार है। इस बार सहालग भी बेहद कम रही। इसकी वजह से फूल की मांग नहीं हो रही है। ऐसे में ग्लेडियोलस दिल्ली में सप्लाई नहीं हो पा रहा है और भाव गिरता जा रहा है। -बृजेंद्र सिंह तोमर





