ग्रेटर फरीदाबाद में विकास कार्यों को मिलेगी रफ्तार
नगर निगम क्षेत्र में शामिल करने के लिए प्रस्तावित 26 में से 8 गांव ग्रेटर फरीदाबाद के हैं, जहां ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियां व बहुमंजिला भवन खड़े हो गए हैं। यह इलाका अब तक गांवों की पंचायतों के आधीन है। दायरे में आने के बाद यहां विकास कार्य कराने की जिम्मेदारी नगर निगम की होगी।
इसे लेकर राजनीतिक दलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। सत्ता पक्ष के नेता सरकार के कदम को सही ठहरा रहे हैं तो विपक्ष का कहना है कि नगर निगम का खजाना खुद खाली है। वह मौजूदा क्षेत्र में ही मूलभूत सुविधाएं नहीं दे पा रहा तो विस्तार होने पर क्या होगा। नगर निगम क्षेत्र में 40 वार्ड हैं। इनमें सीवर, सड़क, पानी, पार्क आदि की जिम्मेदारी नगर निगम की है। निगम अधिकारियों का दावा है कि सीमा में आने के बाद इन गांवों में विकास कार्यों को गति मिलेगी। नगर निगम के आयुक्त डॉ. यश गर्ग ने पत्र लिखकर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, जिला राजस्व अधिकार, जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी, दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम लिमिटेड, जिला नगर योजनाकार, जिला सांख्यिकी अधिकारी और एचएसआईआईएसडी से इन गांवों के बारे में जानकारी मांगी है। इसमें मुख्य रूप से इन गांवों में जमीन, खेती लायक जमीन, गांव के आसपास शहरीकरण की स्थिति और पंचायत के पास फंड की सूचना देने को कहा गया है।
प्रस्तावित 26 में से 8 गांव ग्रेटर फरीदाबाद के
नगर निगम जिन 26 गांवों को अपने अधिकार क्षेत्र में शामिल करने की तैयारी कर रहा है, उनमें आठ बड़ौली, भतौला, खेड़ीकलां, खेड़ी खुर्द, बादशाहपुर, टिकावली, फरीदपुर व रिवाजपुर ग्रेटर फरीदाबाद में आते हैं। यहां कई सोसायटियां विकसित हो चुकी हैं और लाखों लोग रहने लगे हैं। इन सोसायटियों में रहने वाले लोग मूलभूत सुविधाएं दिलाने की मांग लेकर अक्सर धरना-प्रदर्शन करते रहते हैं।
मास्टर प्लान 2031 के अनुसार होगा विकास
इन गांवों के नगर निगम के दायरे में शामिल होने के बाद मास्टर प्लान 2031 के अनुसार ही वहां विकास कार्य कराए जाएंगे। इन गांवों में और आसपास ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियां बन गई हैं, जहां लाखों लोग रहते हैं। पंचायत के दायरे में होने के कारण इन ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियों में रहने वाले लोगों को फायदा नहीं हो पाता है। – डॉ. यश गर्ग, आयुक्त, नगर निगम।
बहुत पहले से नगर निगम के दायरे में विस्तार की और कई गांवों को शामिल करने की मांग चल रही थी। नगर निगम ने 26 गांवों को शामिल करने का प्रस्ताव तैयार किया है, यह अच्छी बात है। सरकार सभी क्षेत्रों में समान विकास कराने में जुटी है। यह उसी दिशा में लिया गया निर्णय है। – रेनू भाटिया, पूर्व उपमहापौर व सदस्य महिला आयोग।
प्रदेश सरकार ‘आगे दौड़-पीछे छोड़’ की नीति अपना रही है। जो गांव फरीदाबाद नगर निगम में 30 सालों में शामिल किए गए हैं, उनकी दशा आज स्लम बस्ती से भी बुरी है। ऐसे में और गांवों को नगर निगम में शामिल करने का प्रयास वहां के लोगों के जीवन को नारकीय बनाने का षड्यंत्र है। सरकार पहले नगर निगम के वर्तमान क्षेत्र में विकास कार्य कराए, उसके बाद सीमा विस्तार की बात करें। – योगेश ढींगड़ा, पूर्व पार्षद व प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता।





