इलाहाबाद हाईकोर्ट से योगी सरकार को झटका, 17 ओबीसी जातियों को अनूसूचित जाति में शामिल करने पर रोक
Allahabad High Court has stayed the state government’s decision to include 17 Other Backward Castes (OBC) in the Scheduled Castes (SC) list.
इलाहाबाद हाईकोर्ट से सोमवार को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को झटका लगा है। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के ओबीसी की 17 जातियों को अनूसूचित जाति में डालने के फैसले पर रोक लगा दी है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जून के अंत में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल कर लिया था। प्रदेश के प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज सिंह ने इस बाबत सभी मण्डलायुक्तों और जिलाधिकारियों को जरूरी निर्देश जारी करते हुए कहा था कि इन 17 पिछड़ी जातियों को अब हर जिले में अनुसूचित जाति के प्रमाण-पत्र जारी किए जाएं। यह जातियां थीं-कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर, धीमर, बाथम,तुरहा, गोड़िया, माझी और मछुआ।
यूपी सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए था: केंद्र
वहीं, इसे लेकर केंद्र सरकार ने कहा था कि उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार को निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना, अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल 17 समुदायों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल नहीं करना चाहिए था। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान कहा था कि यह उचित नहीं है और राज्य सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए।
शून्यकाल में यह मुद्दा बसपा के सतीश चंद्र मिश्र ने उठाया था। उन्होंने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल 17 समुदायों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने का उत्तर प्रदेश सरकार का फैसला असंवैधानिक है क्योंकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की सूचियों में बदलाव करने का अधिकार केवल संसद को है।





