अखिलेश यादव ने फिर दिखाई दरियादिली, आत्महत्या करने वाले युवक के परिवार की मदद को आगे आए
कर्जा वसूली के लिए सूदखोरों के उत्पीड़न से तंग आकर किसान के पेड़ से लटक कर आत्महत्या के बाद प्रशासन के किसी अधिकारी-कर्मचारी ने पीड़ित परिवार के घर में झांकने की जहमत नहीं उठाई, वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव बरेली दौरे के दौरान मृतक किसान के बेटे और पत्नी को 50 हजार रुनये नकद देते हुए पार्टी फंड से भी जल्द डेढ़ लाख रुपये की मदद का वादा कर गए। पूर्व विधायक महिपाल सिंह यादव ने भी बच्चों की शिक्षा का जिम्मा लेने की घोषणा की।
12 सितम्बर को गांव पथरी के ओमकार का बेटा कुंवर पाल ने बैंक के साथ साथ सूदखोरों से ब्याज पर रुपया ले रखा था। सूदखोरों के उत्पीड़न से तंग आकर उसने खेत में पेड़ से लटक कर जान दे दी। बूढ़े पिता ओमकार ने बताया कि बैंक और सूदखोरों का मिलाकर 14 लाख रुपया कर्जा है। सूदखोरों ने उसके परिवार का भविष्य ही चौपट कर दिया है। इस पूरे मामले को हिन्दुस्तान ने प्रमुखता से छापा था।
रविवार को बरेली दौरे पर आए सपा मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को किसान कुंवरपाल द्वारा कर्ज में डूबें होने पर सुसाइड की जानकारी हुई, तो उन्होनें मृतक की पत्नी हरदेई और बेटे अनिल को सर्किट हाउस पर बुलाकर सुबह 11 बजे उनका दर्द जाना। उन्होनें पीड़िता को 50 हजार हजार रुपये दिए और जल्द ही पार्टी फंड से डेढ़ लाख रुपये देने की घोषणा की। यहां पूर्व विधायक महिपाल सिंह यादव ने बताया कि उनका एक डिग्री और एक मेडिकल कालेज है, जिसमें वह पीड़ित के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दिलाने का काम करेंगे। इस दौरान पूर्व सांसद धर्मेन्द्र यादव, कदीर अहमद, सूरज यादव, अगम मौर्य, अमित राज सिंह आदि मौजूद रहे। दूसरी ओर इस मामले में अब तक किसी अधिकारी ने पीड़ित परिवार का हाल जानने की कोशिश नहीं की। लेखपाल भी पीड़ित के घर नही पहुंचा, केवल गांव के लोगों से जानकारी जुटा कर वापस लौट गया।
बरेली-सीतापुर फोरलेन हमें दे देते तो हाईवे पर ही लैंड होते सुखोई: अखिलेश
बरेली में बरसों से लटके ओवरब्रिजों के लिए प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केन्द्रीय मंत्री संतोष गंगवार की घेराबंदी की। लाल फाटक ओवरब्रिज को अब तक रक्षा मंत्रालय की एनओसी न मिलने पर उन्होंने कहा, ‘ये कैसे मंत्री हैं, जो छह साल में एक ओवरब्रिज की एनओसी नहीं ला पाए। इतना ही नहीं बरेली-सीतापुर फोरलेन की बदहाली पर कटाक्ष करते हुए अखिलेश बोले, ‘हमने केन्द्र से कहा था कि सड़क हमें दे दो, फिर इसी हाईवे पर सुखोई उतरेंगे। मगर, सरकार ने हमारी नहीं सुनी। अगर सुनी होती तो इस हाइवे को भी लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे जैसा बना देते।
सर्किट हाउस में रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि बरेली में जो भी ओवरब्रिज बन रहे हैं, वह उनकी सरकार की देन है। कुदेशिया और शहामतगंज ओवरब्रिज समय पर बनकर तैयार हो गए थे। मगर आईवीआरआई और लालफाटक ओवरब्रिज अब तक लटके हुए हैं। लाल फाटक ओवरब्रिज को अब तक रक्षा मंत्रालय की एनओसी नहीं मिल पाई है। बरेली में कैसे मंत्री हैं, उनकी इतनी भी हैसियत नहीं कि वो पुल को रक्षा मंत्रालय से मंजूरी दिलवा सकें। ऐसे मंत्रियों के बारे में जनता को गंभीरता से सोचना चाहिए। अखिलेश यादव ने कहा कि बरेली में सिविल एयर टर्मिनल को मंजूर कराने में भी उनकी सरकार ने अहम रोल अदा किया।





